काली चौदस २०२४

काली चौदस २०२४ 

 
Goddess Kali By Piyal Kundu1, By Piyal Kundu, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0

अनुच्छेद/पेरेग्राफ शीर्षक
१. काली चौदस, नरक चतुर्थी, रूप चतुर्थी, छोटी दिवाली,काल रात्री.
२. काली चौदस कब है?
३. काली चौदस को नरक चतुर्थी क्यों कहते है?
४. काली चौदस को रूप चतुर्थी क्यों कहा जाता है?
५. वामन अवतार, काली चौदस और राजा बलि की पौराणिक कथा
६. घंटाकर्ण महावीर देव और काली चौदस
७. काली चौदस और उड़द के वडे

काली चौदस
, दिवाली के ५ दिन के त्यौहार का दूसरा दिन है और यह चौदस हिन्दू धर्म के साधू और अघोरी साधू के लिए बहुत ही महत्त्व की है।  काली चौदस को नरक चतुर्थी, रूप चतुर्थी और छोटी दिवाली भी कहते है। काली चौदस में रात्रि का महत्त्व ज्यादा है। इसे कालरात्रि भी कहते है। 

इस रात को महाकाली माँ की उपासना की जाती है। महाकाली माँ की उपासना के लिए श्रेष्ठ रात्रि है। इस रात को काल भैरवजी, बटुक भैरवजी और हनुमानजी की उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। कहा जाता है की इस रात तांत्रिक और अघोरी साधू स्मशान में जाकर तांत्रिक साधना करते है। 

इस दिन सामान्य व्यक्ति हनुमानजी की सिन्दूर और तेल से पूजा करते है। हनुमान चालीसा और हनुमान जी के मंत्र की माला करते है। हनुमानजी के मंदिर पर धजा लगाते है।  जिसको शनि की ढैया या साडासाती चलती हो वह ख़ास इस काली चौदस के दिन उपासना करते है। काली चौदस का दिन पितृ की उपासना के लिए भी उत्तम दिन है। 

                                     kali chaudas post JPG image shows yamaraj and his vehicle, whose "Diya" is lighted on south direction in countryard of house.  

इस दिन सुबह शुभ मुहूर्त देख कर पुरे शरीर पर तिल के तेल का मालिश करके स्नान करते है, जिसे अभ्यंग स्नान कहते है। पुरे दिन देवता की उपासना,पूजा और मंत्रोचार करके शाम को घर के आँगन में दक्षिण दिशा में यम का दिया प्रज्वलित करते है। 

                                                               काली चौदस कब है?

काली चौदस कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चौदस याने चतुर्दर्शी को मनायी जाती है।                                                              इस साल कालि चौदस 3१/१0/२०२४ , गुरुवार को मनायी जाएगी।

इस साल काली चौदस का प्रारंभ ३१/ १०/२०२४,गुरुवार को दोपहर ०३:५२ मिनट को होगा।                                                         इस साल काली चौदस की समाप्ति ०१/११/२०२४, शुक्रवार  शाम ०६ :१८ मिनट को होगा।  

इस साल काली चौदस का शुभ  मुहूर्त ,३१ /१०/२०२४, गुरुवार को रात  ११: ३९ मिनट से रात को  १२:३१  मिनट को होगा। इस मुहूर्त की कुल अवधि ०: ५२ मिनट की है।

अभ्यंग स्नान का मुहूर्त ३१/१०/२०२४, रविवार सुबह ०५: ३०  मिनिट से सुबह ६:३८ मिनिट तक है। इस मुहूर्त की कुल अवधि १: ०९   मिनट की है।      

                                                  काली चौदस को नरक चतुर्थी क्यों कहते है?

                                     Narakasur, By Multiple Authors- Goa University, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 3.0

भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा कैलाश पर्वत गए थे। वहा नरकासुर नामक असुर प्रजा और साधु संत के ऊपर बहोत ही जुल्म करता था, और जवान कन्या को उठाकर ले जाता था। उससे जबरजस्ती व्याह रचाकर अपनी पत्नी बनाकर उसे महल में कैद कर देता था  इसलिए प्रजा, कन्या और साधु संत को नरकासुर के त्रास से बचाने के लिए भगवान् कृष्ण और उनकी सारथि बनी उनकी पत्नी सत्यभामा, ने मिलकर तारकासुर का वध किया। इसलिए इस दिन को नरक चतुर्थी भी कहा जाता है। 

                                              काली चौदस को रूप चतुर्थी क्यों कहा जाता है?

                                                                                                        Indian Head Massage, By Vivek Patankar, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 2.0                                                                                         Shiro Abhyanga, ayurvedik Head Massage, By Kerala Tourism, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 2.0                                     Ayurveda-Turmeric, Boswellia, Ashwagandha and fenugreek- 50191955812, By Formulahealth, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY 2.0

काली चौदस का त्यौहार पर खेत में तिल की फसल तैयार हो जाती है। इसलिए इस दिन काले तिल का तेल से पुरे शरीर पर मालिश करवाकर स्नान करने का ख़ास महत्व है। इससे त्वचा मुलायम होती है और त्वचा में तेज आता है और त्वचा निखारने लगाती है। इस प्रकार मनुष्य का रूप निखारने लगता है। इस स्नान को अभयग स्नान कहते है। इसलिए इस दिन को रूप चतुर्थी भी कहते है। 

                                 काली चौदस और राजा बलि की पौराणिक कथा  

              Kali chaudas post jpg images show how Bhagawan Vishnu in his Vamana avatar captured three Lok from Daityraj Bali in just three steps

हिन्दू पुराण के अनुसार, बलि नाम का एक अतिशय बलवान और पराक्रमी दैत्य याने की राक्षस था। दैत्य होने के बावजुद वह भगवान् विष्णु का भक्त था। दैत्य होने के बावजूद वह ब्राह्मण का सन्मान करता था। उसके दरबार में आने वाले ब्राह्मण की हरेक इच्छा पूरी करता था। 

एक बार दैत्यराज बलि को स्वर्ग जितने की इच्छा हुई। इंद्र को बलि की इच्छा पता चलते ही सभी देवता विष्णुजी के पास सहाय के लिए गए। भगवान् विष्णु ने स्वर्ग को असुरो से बचाने के लिए सहायता करने का वचन दिया। भगवान विष्णु वामन कद ब्राह्मण का रूप लेकर, दैत्यराज बलि के दरबार में भिक्षा मांगने गए। 

दैत्यराज बलि ने जब वामन के अवतार में रहे, भगवान् विष्णु को अपनी इच्छा अनुसार मांगने को कहा तब भगवान ने तीन कदम जमींन मांगी। इस प्रकार भगवान विष्णु ने पहले कदम में पूरी पृथ्वी, दूसरे कदम में आकाश और तीसरे कदम में पाताल लोक ले लिया। जो राजा बलि ने ख़ुशी से दे दिया। 

इससे प्रस्सन होकर विष्णुजी ने राजा बलि को अपनी इच्छा प्रगट करने ने को कहा। तब दैत्यराज ने कहा की अब तो मै सब दान में दे चुका हु। इसलिए मुझे कुछ नही चाहिए, मगर लोक कल्याण के लिये पृथ्वी पर तीन दिन काली चौदस, दिवाली और एकम को मेरा राज हो। काली चौदस को जो भी शुभ कार्य के लिए कोई भी तांतिक या सात्विक पूजा करे वो कबूल हो। प्रजा इस तीन दिन हर्षोल्लास से हस्सी ख़ुशी से रहे ये मेरी इच्छा है। इस प्रकार ये तीन दिन दैत्यराज बाली को समर्पित है। 

                                                              घंटाकर्ण महावीर देव और  काली चौदस      

                        Kali Chaudas image represents, Shri Ghantakarna Mahavir Swami's famous and holy havan, which is performed on kali chaudas. 

 श्री घंटाकर्ण देव जैन धर्म के रक्षक है। इस कलियुग में भी वह साक्षात देव है। उन्हों ने की हुई भविष्य वाणी आज के कलियुग में भी सचोट साबित हुई है। जैन रक्षक का स्थानक होते हुई भी, यहाँ हरेक धर्म और जाती के लोग आते है और अपनी मनोकामना पूर्ण करते है। 

काली चौदस के दिन ही हवन होता है। जिसका हिस्सा बनने के लिए भारत भर से और दुनिया भर से श्रद्धालु हाजरी देने आते है। हवन दोपहर को विजय मुहूर्त में होता है। जैन में विजय मुहूर्त दोपहर १२:३९ से शुरू होता है।  हवन  के बाद रक्षा सूत्र बांधने के लिए दिया जाता है। जो अनिष्ट तत्वों और बुरी नजरो से बचाता है। भूत  प्रेत जैसी मैली ताकतों से रक्षा करता है। 

                                                          काली चौदस और उड़द के वडे

       
                                                       Dahi Vada 201506, By Sutapa2507, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0
                                                      A plate of dal vada, By Thamizhpparithi Maari, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0
ज़्यादातर गुजरात में, काली चौदस की शाम को उड़द के वडे बनाते है।  शामको सूर्यास्त के बाद, औरते  घर से पानी से भरा हुआ लोटा और थाली में उड़द के वडे रखकर थाली को कपडे से ढक्कर चौराहे पर जाती है। पानी के लोटे में रखे हुए पानी से एक गोलाकार बनाती है। उसमे एक वडा रखती है, और हरेक दिशा में याने पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में एक वड़ा फेकती है। फिर बिना पीछे मुड़कर देखे घर में आ जाती है।  रास्ते में किसी से बात भी नहीं करती है। 

सा माना जाता है की, इस विधि को करने से घर मे अगर कलेश होता हो तो बंध हो जाता है। अगर कलेश नहीं होता है तो चालू नहीं होगा।  घर मे वर्ष भर शांति रहती है। गुजराती में इसे "ककड़ाट काढवो" कहते है।

काली चौदस का दिन और रात दोनों ही का महत्त्व है। जिस के घरमे और जीवन में समस्या है उन लोगो के लिए काली चौदस का दिन और रात समस्या से छुटकार दिलाने की उम्मीद लेकर आती है। 

आगे का पढ़े :  १ दिवाली   2.  बेसतु वर्ष     

PS. These images are taken from the internet, no copyright intended from this page. If you are the owner of these pictures kindly e-mail us we will give you the due credit or delete it.

Previous
Next Post »

1 comments:

Click here for comments
RT
admin
5 नवंबर 2020 को 11:59 pm बजे ×

Very nicely explained

Congrats bro RT you got PERTAMAX...! hehehehe...
Reply
avatar

Please do not enter any spam link in the comment box. ConversionConversion EmoticonEmoticon