कुंभ मेला - ३

                                                                    कुंभ मेला - ३

                                   Beauty of Haridwar, Abhishek Debsharma,  image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0 

 कुंभ मेला हिन्दू धर्म की शान है। पूरी दुनिया के लिए एक मिशाल है। भारत की अनोखी पहचान है। दुनिया का सबसे लंबा चलने वाला त्यौहार है। यह दुनिया का एक मात्र धार्मिक त्यौहार है जिसमे पूजा, आरती और भगवान की स्तुति से ज्यादा  स्नान का महत्व है। यह दुनिया का एक मात्र धार्मिक त्यौहार है जिसमे भक्त भगवान के दर्शन का नहीं पर स्नान का इंतज़ार करता है। यह दुनिया का एक मात्र त्यौहार है जिसमे नर, नारी, छोटे, बड़े बुढ्ढे जवान संत महात्मा सभी साथ में स्नान का इंतज़ार करते है। कुंभ मेला का महत्त्व क्या है? कुंभ मेला क्यों मनाया जाता है? सब माहिती विस्तार से मैं ने मेरे लिखे हुए दो पोस्ट कुंभ मेला तैयारी और कुंभ  मेला -२ में दी है।

                                          कुंभ मेला के पर्व स्नान और शाही स्नान की तिथि  

कुंभ मेला में कुल १० स्नान होने वाले है। जिसमे ६ पर्व या प्रमुख स्नान है और ४ शाही स्नान है। जिसमे शाही स्नान का महत्त्व ज्यादा होता है। शाही स्नान और पर्व स्नान की तिथि की माहिती की नीचे दी हुयी है। मकर संक्रांति का पर्व स्नान समाप्त हो गया है। बाकी के स्नान की माहिती नीचे दी गई है।  

तारीख                            पर्व या प्रमुख स्नान                                    तारीख                         शाही स्नान 

११/०२/ २०२१                    मौनी अमावस्या                                   ११/०३/२०२१                  महाशिवरात्रि 

१६/०२/२०२१                     वसंत पंचमी                                       १२/०४/२०२१                  सोमवती अमावस्या 

२७/०२/२०२१                     माघ पूर्णिमा                                      १४/ ०४/२०२१                  मेष संक्रांति 

१३/०४/२०२१                     चैत्र शुकल प्रतिपदा                            २७/०४/२०२१                   बैशाखी पूर्णिमा 

२१/०४/२०२१                      राम नवमी 

कुंभ मेला के लिए सरकार ने दिशा निर्देश जाहिर कर दिए है। 

                                                          केंद्र सरकार के दिशा निर्देश 

                                                                                 कोरोना टेस्ट करने वाली स्वास्थ्य टीम की बड़ी लापरवाही,बिना पीपीई किट के कर रहे कोरोना जांच, By Shivansh singh, image compressed and resized, Source, is licensed under CC BY-SA 4.0

आप कुंभ मेला में या उत्तराखंड में कहीं से भी दाखिल होते हो तो नेगटिव कोविड रिपोर्ट अनिवार्य है। कोविड टेस्ट RTPCR होना चाहिए। कोविड रिपोर्ट ७२ घंटे से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए। जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज से मेडिकल सर्टिफिकेट भी होना जरुरी है। आपको ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा। अगर आप के पास कोविड रिपोर्ट नहीं है तो वही पर आप का कोविड टेस्ट होगा, और टेस्ट नेगटिव आने पर ही आप आगे बढ़ सकते हो। आप की सरल और शांतिमय यात्रा के लिए आप कोविड रिपोर्ट और मेडिकल सर्टिफिकेट जरूर रखे। मकर संक्रांति का कुंभ स्नान समाप्त हो गया है। इसलिए भीड़ कम हो गयी है। रजिस्ट्रेशन कैसे और कहा पर  करना है वह अभी तय नहीं है। जाहिर में थूकना मना है। अब तक करीब १००० लोग को दण्डित किया गया है।  

कुंभ स्न्नान को छोड़कर कुंभ मेले मे मास्क पहनना अनिवार्य याने कम्पलसरी है। उसी तरह सोशियल डिस्टेंस में ६ फ़ीट की दुरी अनिवार्य है।अभी मकर संक्रांति का स्नान हुआ जिसमे पहले रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था। मगर इसमें कोई रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था। इसलिए रजिस्ट्रेशन का वेब पोर्टल अभी नहीं आया है। भक्तजन को बिनती की जाती है की १० साल से छोटे बच्चे और ६५ + के बुजुर्ग, बीमार, रोगी और गर्भवती महिला न आये तो बेहतर है। हर की पौड़ी और गंगाघाट में स्नान करने वाले श्रद्धालु सिर्फ ३ डुबकी ही लगा सकेंगे ताकि स्नान के लिए आने वाले तमाम श्रद्धालु स्नान कर सके। वहा तैनात पुलिस इस बारे में सब को अवगत कराएगी। इस तरह की जानकारी मिल रही है। मोबइल में आरोग्य सेतु डाउनलोड होना जरुरी है।

                                                              कुंभ मेला में सुरक्षा व्यवस्था                                                                                                                                                                           Quadcopter Camera drone in Flight, By Josh Sorenson, image compressed and resized, Source is licensed under CC0 1.              2019 jan 2019- Prayagraj Kumbh Mela- Kumbh seva Mitra from GBPSSI, By Balone 21, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0

 राज्य सरकार भी उसी हेल्थ वर्कर को सेवा में रखेगी जिसने कोविड की वेक्सीन लगी होगी। सुरक्षा के लिए NSG कंमांडो, CRPS, SSP, CISF, ITBP और  BSF की टीम तैनात है। सुरक्षा का काफी अच्छा इंतज़ाम किया गया है। वैसे तो कुंभ मेला ३.५ महीने चलता है। मगर कोविड के वजह से इस बार कुंभ मेला २७ अप्रैल २०२१ को बैशाखी पूर्णिमा के स्नान के साथ समाप्त हो जाएगा। करीब १००० कैमरा लगाए जाएंगे। 

कुंभ मेले में परिवहन विभाग भी अपनी भूमिका निभाएगा। उसने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। यातायात के नियम का पालन करवाने के लिए परिवहन विभाग ने १२६ जवानो की तैनाती कर दी है। श्रद्धालु की यातायात की सुविधा के लिए ६ अस्थाई पोस्ट भी बनाने ने वाली है। इसबार परिवहन विभाग ज्यादा सख्त होनेवाला है। 

सरकार की ओर से एक ऑफिसियल वेब साईट बनाइ गयी है। जिसका नाम है "www.haridwarkumbhamela2021.com". सभी श्रद्धालु को अनुरोध है की कुंभ  मेले में जाने से पहले इसे जरूर पढ़े। अगर कोई भी नियमो में बदलाव आता है तो पहले इसी वेबसाइट पर आयेगा। 

                                 मौनी अमावस्या कुंभ का पर्व स्नान ११/०२/२०२१ का मुहूर्त 

मौनी अमावस्या ११ फरवरी २०२१, गुरुवार को पड़ती है। उसकी शुरुआत ११ फरवरी २०२१ की रात १:०८ मिनट को होगी।  इसकी समाप्ति  १२ फरवरी २०२१, शुक्रवार सुबह १२:३५ मिनट को होगी। 

                                                                   मौनी अमावस्या का महत्त्व 

Pinda Daan -Jagannath Ghat- Kalkata, By Biswarup ganguly, image compressed and resized, source, is licensed under CC BY-SA 3.0 

मौनी अमावस्या अपने आप एक विशिष्ठ दिन है। उस दिन मौन रखा जाता है। उसमे अगर वह कुंभ मेले के समय में आती है तो इसे सोने पे सुहाना कहा जाता है। इस दिन स्नान का अधिक महत्त्व होता है। हिन्दू  पुराण के अनुसार जो पुण्य सतयुग में तप से, द्वापर युग में भगवान की भक्ति और पूजा अर्चना से, त्रेतायुग में ज्ञान से और कलयुग में दान से मिलता है वह पुण्य माघ माह में कुंभ स्नान करने से मिलता है। 

शास्त्रों के अनुसार, इस दिन जो कोई भी किसी पवित्र नदी में स्नान करके पुरे दिन मौन रखकर भगवान का जप ध्यान करते है।  गरीब और ब्राह्मण को दान करते है तो उसे कही गुना फल मिलता है। यह दिन पितृ को तृप्त करने और खुश करने का सुवर्ण मौक़ा कहा जाता है। पितृ दोष, कालसर्प दोष जैसे दोषो को दूर करने के लिए यह अत्यंत महत्त्व का दिन है। इस दिन की गयी पितृ की पूजा और अनुष्ठान तुरंत फल देता है। अपने पितृ की आत्मा की शांति  के लिए वस्त्र, बर्तन, भोजन और सुवर्ण का दान दिया जाता है। इसलिए इसे पितृ अमावस्या भी कहते है। हिन्दू शास्त्र के अनुसार, अगर आपके घर नदी से दूर है तो आप घर मे भी नहाने के पानी में गंगा जल डालके स्नान कर सकते है और नहाते समय आप गंगा मैया को याद कर ले तो गंगा स्नान का ही फल मिलता है। 

कुंभ मेला की मौनी अमावस्या पितृ तर्पण के लिए, पितृ दोष, काल सर्प जैसे दोष को समाप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी है। 



आगे का पढ़े :  १. छत्रपति शिवाजी महाराज २. वसंत पंचमी  

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