धनतेरस २०२४


                                                                        धनतेरस २०२४   
                                                                                                                                                                      
                   
            Dhanwantari Bhagwan, By Dhanwantari4u, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0                                                  
अनुच्छेद/पेरेग्राफ शीर्षक
१. प्रस्तावना
२. धनतेरस कब है?
३. धनतेरस को घर में पूजा कैसे करते है ?
४. धनतेरस को क्या नहीं करना चाहीये?
५. धनतेरस में क्या ख़रीदे?
६. यमराज का दिया और पौराणिक कथा
७. धनतेरस के १३ दिपक

धनतेरस
, दिवाली के ५ दिन के त्यौहार का प्रथम दिन है। इस दिन देव और दानवो के बीच समुद्र मंथन से देव धन्वंतरि प्रगट हुए थे। उनकी चार भुजा थी। उनके हाथ में अमृत से भरा कलश, दूसरे हाथ में आयुर्वेद ,तीसरे हाथ में शंख और चौथे हाथ में चक्र था। देव धन्वंतरि ने आयुर्वेद की उत्पति की थी। वह भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है। देव धन्वंतरि के नाम से इस दिन को धनतेरस कहते है। 

पीतल उनकी प्रिय धातु है। देव धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है। वह हाथ में कलश के साथ प्रगट हुए थे इसलिए धनतेरस के दिन कलश या पीतल का सामान खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन को "राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस" के रूप में मनाया जाता है। 

देव धन्वंतरि के प्रागट्य के दो दिन बाद माँ लक्ष्मीजी प्रगट हुए थी। इसलिए इस दिन माँ लक्ष्मीजी का दिया भी प्रज्वलित किया जाता है। धनतेरस के दिन, कई राज्यों में १३ दीपक प्रज्वलित करने का रिवाज है। इस दिन शुभ मुहूर्त में  चांदी और पीतल के बर्तन लाना शुभ माना गया है।

                                                          धनतेरस कब है?                                                      कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की तेरस याने की त्रियोदशी को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। 

इस साल धनतेरस त्रियोदशी तिथि की शुरुआत,२९ /१० /२०२४, मंगलवार सुबह को १०:३१  मिनट को होगी।                                                                                                                                                                                                                      इस साल धनतेरस त्रियोदशी तिथि की समाप्ति, ३० /१० /२०२४  , बुधवार दोपहर  को  ०१:१५  मिनिट को होगी।

इस साल धनतेरस का पूजा का शुभ  मुहूर्त २९/१०/२०२४ मंगलवार  सुबह को ०६ :३१ मिनट से रात  ०८ :३१   मिनट तक होगा।  पूजा के लिए १ घंटा ४२ मिनट का समय है। 

इस साल धनतेरस को प्रदोष काल का समय २९ /१० /२०२४ मंगलवार शाम ०५: ३८  से रात को ०८:१३  मिनट तक है।  

इस साल धनतेरस का ऋषभ काल का समय २९ /१० /२०२४  मंगलवार  शाम ०६: ३१  से रात को ८ :२७  मिनट तक है। 

सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त ;  मंगलवार   २९ /१०/२०२४ के  सुबह  १०:३१ से रविवार ३०/१०/ २०२४ सुबह ०६:३१ तक रहेगा। 

                                                           धनतेरस को घर मे पूजा कैसे करते है ?

                               A Local Villager performing Diwali Pooja at home, Antim04, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0

धनतेरस को आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि देव, धन के देवता कुबेर देव, माता लक्ष्मीजी और देव गणेशजी की पूजा करने की परम्परा है। 

पहले  पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़क कर जगा को पवित्र करे। एक चौकी के ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर, उत्तर दिशा में आयुर्वेद के देवता, देव धन्वंतरि और कुबेर देव का चित्र या मूर्ति स्थापित करना है। साथ में माता लक्ष्मीजी और देव गणेशजी की भी स्थापना करे।  

अब प्रथम देव गणेशजी को सिन्दूर और चन्दन का, माता लक्ष्मीजी को कुमकम से, कुबेरजी और धन्वंतरिजी  को चन्दन का तिलक करके पूजा शुरू करे।  फिर दिप, अगरबत्ती, फूल, हार और धुप से आरती करे। कुबेर देव को सफ़ेद मिठाई और धन्वंतरि देव को पिली मिठाई से, गणेशजी को लाडू और माता लक्ष्मी को दूधकी मिठाई का  भोग दे।

प्रथम देव गणपतिजी से रिद्धि और सिद्धि के लिए, माता लक्ष्मीजी से धन धान्य के लिए, कुबेरजी से धन, वैभव, ऐश्वर्य के लिए और धन्वन्तरिजी से अच्छे स्वास्थय और तंदुरस्ती के लिए पुरे आनेवाले साल के लिए प्राथना करे। 

    धनतेरस को क्या नहीं करना चाहिए।

                                                                                    NoAlcohol Sign, By Mpelletier1, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 3.0
                                         No knives, By Simon Law from Montral QC, Canada, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 2.0                                                                                  Triloknath_ pilgrim's shoes outside temple, By John Hill, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 3.0 
इस दिन शराब, तामसी चीजे, धारदार वास्तु जैसे की चाकू, छुरी, हथियार आदि न ख़रीदे। तेल, एल्युमीनियम के बर्तन, जुते, छाता, लोहे का सामान और कोई भी काली वास्तु ना ख़रीदे। किसी को पैसा उधर न दे। किसी की सौगात देनी हो तो आज न ख़रीदे।
  
                                                          धनतेरस में क्या ख़रीदे

  
                 Two five- unce Silver APMEX bars by Gage Skidmore, By  Gauge Skidmore, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 3.0
                                                      Hindu pooja thali, By Suketdedhia, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC0 1.0

आज के दिन चांदी और तांबे के सामान जरूर ख़रीदे। दीपावली के दिन तक की  पूजा का सामान आज के दिन खरीदे। गणेशजी की मूर्ति, लक्ष्मीजी मूर्ति, पूजा का प्रसाद आदि ख़रीदे। नयी गाडी शुभ मुहूर्त में खरीद सकते है। पीतल का कलश और झाड़ू भी खरीद सकते है।                        

                                                       यमराज का दिया और पौराणिक कथा                                                                

                 Light Flame Fire Pot Diya India Deepawali Diya, By Pixabay.com, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC0

एक बार दूतो ने यमराज को अकाल मृत्यु से बचने का उपाय पूछा तब यमराज ने बताया की जो भी प्राणी धनतेरस के दिन अपने आँगन में दक्षिण दिशा की ओर मेरे नाम का दिया प्रज्वलित करेगा मै उसकी अकाल मृत्यु से रक्षा करूंगा। 

इसलिए धनतेरस की शाम के समय सभी को अपने आँगन में प्रवेशद्वार के पास यमराजजी का सरसो के तेल से चौमुखी दिया दक्षिण दिशा की और प्रज्वलित करना चाहिए।  इस से साल भर घर के सभी व्यक्ति को अकाल मृत्यु से रक्षा मिलती है।

                                                                        धनतेरस के १३ दिपक 

                                                        Lamps in Diwali, By Anushka, JPG image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0

भारत देश के कई राज्यों में धनतेरस के दिन १३ दिया जलाने का रिवाज भी है। यह दिए पुरे घरमे अलग अलग जगह पर जलाये जाते है। यह दिए आटे या गल्ली मिटटी से बनाए जाते है, या बाज़ार से तैयार भी लाते है।  

पहला दिया प्रथम देव गणपतिजी का करते है। गणपतिजी को फूल, जनेऊ, वस्त्र, सिन्दूर और चावल से पूजा करते है। पूरा साल विध्न रहित रहे और रिध्धि सिद्धि की प्राप्ति हो इसलिए प्रज्वलित करते है। 

दुसरा दिया कुबेरजी का धन प्राप्ति और अच्छे व्यापार के लिए तिजोरी के पास जलाते है। 

तीसरा दिया धन्वंतरि देव का तंदुरस्ती और निरोगी जीवन के लिए ईशान कोने में जलाते है। 

चौथा दिया यमदेवता का घर के आँगन में दक्षिण दिशा में अकाल मृत्यु से घर के सदस्य की रक्षा के लिए जलाते है।

पांचवा दिया चित्रगुप्त के नाम का जो सब के कर्मो का हिसाब रखते है। 

छठा दिया तुलसी क्यारे में, जमीन से २ या ३ फ़ीट की उचाई पे प्रज्वलित करते है। 

सातवा दिया पानी के मटके के पास अपने पितृ का पूर्वजो के आशीष के लिए प्रज्वलित करते है।

आठवा दिया गौमाता का घर के मंदिर में गौमाता के दूधके लिए प्रज्वलित करते है। 

नववा दिया घरके ब्रह्मस्थान में  वास्तु के लिए प्रज्वलित करके उसमे ७ दाने चावल के डालते है। 

दसवा दिया घरकी छत पर पिली सरसो डाल के, बुरी नजर से घरको बचाने के लिए प्रज्वलित करते है। 

ग्यारवा दिया गंगा मैया के नाम का ७ पिले चावल डालके, पिछले पापो की मुक्ति के लिए प्रज्वलित करते है। 

बारहवा  दिया तिजोरी के अंदर और बाहर लक्ष्मी यन्त्र स्थापित करके समृद्धि के लिए प्रज्वलित करते है। 

तेरहवा दिया अग्निदेवता का चुटकी भर आटा डाल के घरको दरिद्रता से बचाने के लिए प्रज्वलित करते है। 

इस प्रकार दिवाली के पांच दिन के त्यौहार का पहला दिन धनतेरस देवता को आह्वान करके, उनका आशीर्वाद लेकर शुरू करते है ताकि, पूरा साल सुख, समृद्धि और स्वस्थता के साथ बीते। 


आगे का पढ़े :  १  काली चौदस    2. दिवाली     

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