तुलसी औषधो की राणी

                                                             तुलसी औषधो की राणी 

                                                               तुलसी का चित्र पूर्ण तरीके से उगा हुआ तुलसी का क्यारा बता रहा है .                                                                                  
अनुच्छेद/पेरेग्राफ शीर्षक
औषधो की राणी
पौधा एक नाम अनेक
तुलसी के प्रकार
तुलसी के पौधे को घर के आँगन में ही क्यों लगाते है?
तुलसी के फायदे
वास्तु शास्त्र और तुलसी
तुलसी का सेवन किसके लिए वर्जित है?
किस दिन तुलसी के पान नहीं तोड़ने चाहीए?
विष्णुजी और तुलसीजी की कथा
 
                                                                       औषधो की राणी                                        

तुलसी एक उत्तम और अनमोल आयुर्वेदिक औषध है। उसमें कहीं औषधीय गुण है। इसलिए इसे औषधो की रानी भी कहा जाता है। उसी के नाम से ही उसका महत्त्व पता चलता है। तुलसी याने जिसकी तुलना किसी भी आयुर्वेदिक औषध के साथ नहीं हो सकती। इसलिए इसे तुलसी कहते हैं। तुलसी को आयुर्वेद में मां का दर्जा भी दिया गया है क्योंकि इस पौधे में इतने सारे औषधीय गुण है की उसकी जगह कोई भी आयुर्वेदिक औषध नहीं ले सकती है। जिस तरह एक मां अपने बच्चों की  रक्षा करती है इस तरह तुलसी अनेक रोगों से मनुष्य को बचाती है। इसलिए हिंदुओं के लिए तुलसी एक पवित्र पौधा है।


पौधा एक, नाम अनेक


तुलसी का पौधा आपको हिंदू के घर के आंगन में जरूर दिखाई देगा। इस पौधे की हर रोज सुबह और शाम घर की नारी पूजा करती है। और दीपक जलाती है। तुलसी का सीधा संबंध भगवान विष्णु जी से है। इसलिए इसे विष्णु प्रिया और विष्णु वल्लभ कहा जाता है। वैसे तो तुलसी को कही नाम से पुकारा जाता है। वृंदा,वृन्दावनी,नंदनी, जीवनी, पुष्प धारा, विश्व पूजिता, विश्व पावनी और तुलसी हिंदू धर्म में कहां जाता है की जिस घर में तुलसी का पौधा हो उस घर  के ऊपर भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि रहती है। हिंदू धर्म में  विष्णु जी से जुड़ी हुई पौराणिक कथा भी है।


तुलसी के प्रकार

      

                                                               तुलसी पोस्ट की यह तस्वीरे तुलसी के ३ प्रकार दिखा रही है .                                                                                                    

तुलसी का धार्मिक और आयुर्वेदिक महत्व है। तुलसी का पौधा १ से 3 फीट तक होता है। उसकी पत्तियां 1 से 3 इंच तक लंबी होती है। तुलसी के कई प्रकार है। तुलसी के पौधे में छोटे-छोटे बिज और फूल भी लगते हैं। ज्यादातर तुलसी के तीन प्रकार होते हैं १. राम या श्री तुलसी २ श्याम तुलसी वन तुलसी। इसमें श्याम तुलसी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। 


राम तुलसी के पौधे के पान और फूल हरे होते हैं। धर के आँगन में राम तुलसी ही स्थापित की जाती है। श्याम तुलसी के पौधे  के पान और फूल बैंगनी रंग के होते हैं। इस वन तुलसी के पौधे में पान और फूल गाढे हरे रंग का होता है। इस सभी पौधे का अपना ही आयुर्वेदिक महत्त्व है। जैसे कि किसी चेपी रोग के बारे में यानी इंफेक्शन के लिए वन तुलसी अच्छी है।और यदि कोई दिमाग की बीमारी है तो श्याम तुलसी श्रेष्ठ है। इस प्रकार तुलसी का अपना अलग महत्व है।अंग्रेजी में इसे होली बेसिल (Holy Basin)हा जाता है उसका मेडिकल नाम Osimum tenuiflorum है।


तुलसी के पौधे को घरके आँगन में ही क्यों लगाते है?

तुलसी की इमेज बता रही है की तुलसी का पौधे को आँगन में

घर का आंगन यानी घर का प्रवेश द्वार, जहां से कोई भी अंदर आ सकता है। इसमें रोग के जीवाणु जहरीले जंतु भी आ सकते हैं। जिससे घर मैं रहने वाले रोगों से ग्रसित हो सकते हैं या जहरीले जंतु से पीड़ित हो सकते हैं। कहां जाता है की तुलसी के पौधे में से एक विशिष्ट प्रकार की  गंध जाती है। जिससे जहरीले जंतु और रोग के जीवाणु घर में दाखिल नहीं होते हैं। यहां तक कहा जाता है, की इस प्रकार की विशिष्ट प्रकार की गंध से जहरीले सांप भी दूर रहते हैं।


तुलसी के पौधे से वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। जिससे घर के आसपास का वातावरण शुद्ध होता है। ऑक्सीजन लेवल के बढ़ने से घर में रहने वाले की इम्यूनिटी भी बढ़ती है। यानी रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। जिससे घर में बीमारी नहीं आती है।


धार्मिक वजह यह है कि, जिस घर में तुलसी का वास होता है वहां भगवान विष्णु का भी वास होता है। भगवान विष्णु  के घर में वास होने से घर की सुख संपत्ति और शांति में इजाफा होता है। तुलसी भगवान विष्णु  को अति प्रिय है इसलिए तुलसी का एक नाम विष्णुप्रिया भी है।

पिछली पोस्ट जरूर पढ़े   मधुमेहब्लड प्रेशर /रक्त चापघुटनो का दर्द, अर्का, आंवला /आमलासोंठ (सूखा अदरक),शिलाजीत - आयुर्वेदिक वियाग्रा से कही ज्यादा 


तुलसी के फायदे

तुलसी की पोस्ट में तुलसी चाय और तुलसी का काढ़ा है।

स्तन कैंसर का उपाय*********संशोधन से पता चला है की तुलसी के पत्तो को पिसने पर उसमे से एयुजिनोल नामक तत्व होता है जो शरीर के अन्दर गांठ नहीं बनने देती है। इसका फायदा ज्यादातर स्त्री के स्तन में गांठ को बनने नहीं देती है। इस तरह स्तन कैंसर को रोका जा सकता है।

कैंसर का उपाय********* आजकल मोबाइल का उपयोग अनिवार्य हो गया है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सबको उसकी जरूरत पड़ती है। मगर मोबाइल फोन से जहरीले रेडिएशन बाहर निकलते हैं। जो लंबे अरसे में कैंसर जैसी बीमारी शरीर में ला सकती है। तुलसी का सेवन इस रेडिएशन को  दूर करता है। इस तरह तुलसी हमें कैंसर से बचाती है।

मधुप्रमेह (Diabetes)*********तुलसी में ऐसा तत्व होते है, जो शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा को नोर्मल रखती है। शरीर में यूरिक एसिड को बढ़ने नहीं देती है। याने एकसमान रखती है। वह शरीर में बने ज्यादा प्रोटीन को शरीर के बाहर निकलने की क्षमता रखती है। इसलिए खून में युरिक एसिड नहीं बढ़ता है। जिसकी वजह से मधुप्रमेह(Daibetes} काबू में रहता है।


ह्रदय रोग निवारक********* तुलसी ह्रदय रोग को रोकता है। इसलिए अगर हृदय रोग हो गया है। उसके लिए अत्यंत फायदेमंद है। तुलसी के अंदर मौजूद रसायन और केमिकल की वजह से  ह्रदय में एचडीएल कोलेस्ट्रॉल  को बढ़ाता है। जो ह्रदय के लिए अत्यंत फायदेमंद है इसलिए हृदय में खराब कोलेस्ट्रॉल कम होता है। तुलसी  हृदय के ब्लड वेसल की नसों को कठोर नहीं होने देती है। इस वजह से  ह्रदय स्वस्थ रहता है। इस तरह ह्रदय पर कोई भी तनाव नहीं आता है। खून सरलता से बहता है।इस वजह से हृदय रोग याने हार्ट अटैक नहीं आता है।


जातीय समस्या के लिए रामबाण इलाज*********तुलसी में जातीय समस्या के लिए रामबाण इलाज है। अगर किसी  पुरुष की स्तंभन शक्ति कम हो गई है। किसी पुरुष में नाईट फॉल की समस्या ज्यादा हो गयी है। तो तुलसी उसके लिए रामबाण इलाज है। तुलसी के सेवन से पुरुष में रहे हुए विर्य बहुत जल्दी बढ़ जाता है। इससे  स्तंभन शक्ति में  इजाफा होता है। इस तरह समस्या दूर होती है। इसके लिए तुलसी के बीज का प्रयोग करना चाहिए।


३ महीने 250 ग्राम दूध में 1 ग्राम तुलसी के बीज और गुड डालकर पीने से स्तंभन शक्ति में बहुत  इजाफा होता है। इस तरह स्तंभन शक्ति की समस्या दूर हो जाती है। नाईट फॉल की समस्या 1 महीने में खत्म होती है।

इम्यूनिटी बूस्टर********* तुलसी कार्य करने की शक्ति को यानी इम्यूनिटी को बढ़ाती है। तुलसी में टी हेल्पर सेल्स और नेचुरल किल्लर सेल बढ़ जाते है। जिससे हमारे खून में जो रोगों को सामने लड़नेके लिए रेड ब्लड सेल है वह बहोत बढ़ जाते है। इसलिए हमें कोई भी छोटे मोटे रोग जल्दी से नहीं होते है। तुलसी से उसके आसपास के वातावरण में ऑक्सीजन की बहुत ही बढ़ोतरी होती है। ऑक्सीजन का लेवल बढ़ने से उसके आसपास रहने वाले की स्टेमिना बढ़ती है। जिसकी वजह से कार्य शक्ति मैं बढ़ोतरी होती है। और शरीर में ताकत को बढ़ती है इसलिए स्पोर्ट्स खेलने वाले को अत्यंत फायदेमंद है। 


वातावरण शुद्धि*********तुलसी के पौधे में एक विशिष्ट प्रकार की गंध होती है। जिसकी वजह से रोग के जीवाणु और जहरीले जंतु घर मे प्रवेश नहीं कर सकते है। यहाँ तक कहा जाता है की जहरीले सांप भी नजदीक नहीं आते है। इसकी खुशबु से वातावरण शुद्ध होता है।


याद शक्ति में बढ़ोतरी*********आजकल बच्चों को पढ़ाई में बहुत ही तनाव सहन करना पड़ता है। क्योंकि उनकी पढ़ाई जरूरत से ज्यादा हो गई है। उसके ऊपर  बच्चों को अपने कैरियर की भी चिंता रहती है। इसलिए उनका जीवन तनावपूर्ण बन गया है। उसके कारण उनके मां-बाप को भी तनाव सहन करना पड़ता है। इस सब की वजह से बच्चों का स्वभाव चिड़चिड़ा बन जाता है।


मगर अगर सब लोग तुलसी का सेवन करते हो तो तुलसी के अंदर रहे हुए खास रसायन  की वजह से उनका मूड अच्छा रहता है।  उसकी याद करने की शक्ति बढ़ जाती है। यहां तक की वह मनुष्मय मल्टी टास्क भी कर सकता है। याद शक्ति बढ़ने से  कोई भी मनुष्य अपना काम सही तरीके से कर सकता है। याद रख सकता है। और उसके ऊपर  कंसंट्रेट याने ध्यान केन्द्रित कर सकता है।


श्वशन तंत्र******* तुलसी श्वशन तंत्र को स्वस्थ रखती है। तुलसी सर्दी खांसी और कफ की अक्सीर दवाई है। तुलसी में एंटीवायरस प्रॉपर्टीज वजह से सर्दी खांसी और कफ को तुरंत काबू में कर लेती है। अगर सही तरीके से लिया जाए तो टी.बी. जैसी बीमारी को भी ठीक कर सकती है।


बुखार********* तुलसी हर एक प्रकार के बुखार या मलेरिया के लिए रामबाण इलाज है। किसी भी प्रकार के बुखार को कुदरती तरीके से उतारता है। वह बुखार को पसीना लाकर उतारता है। इसलिए उसका कोई भी साइड इफेक्ट शरीर पर नहीं पड़ता है।

त्वचा के रोग********* तुलसी त्वचा के रोग के लिए भी फायदेमंद है। चेहरे पर कील, मुंहासे, शरीर पर कहीं भी फोड़े फुशी, त्वचा के घाव्  या त्वचा छिलना,खाज, खुजली, सोरायसिस त्वचा पर लाल चका में होना और एग्जिमा (जो आगे जाकर अस्थमा का रूप लेता है} के लिए भी अत्यंत फायदेमंद है। तुलसी का रस निकालकर उसे घाव पर लगाया जाता है और पिया भी जाता है।


दर्द निवारक********* तुलसी एक दर्द निवारक भी है. तुलसी का काढ़ा पीने से शरीर में किसी भी प्रकार के दर्द को काबू में किया जा सकता है।


तनाव को ख़त्म में अक्सीर********* तुलसी के सेवन से उसके अंदर रहे हुए रसायनों से मनुष्य को अच्छी नींद आ जाती है। जिसकी वजह से  मनुष्य अपने आप  को सुबह में तरोताजा महसूस  करता है।  उसके जीवन से आलस्य बहुत ही कम हो जाती है। जिसके कारण मनुष्य तरोताजा महसूस  करता है। इस तरह  टेंशन की बीमारी को भी खत्म करता है


पाचन की समस्या का इलाज********* पति पत्नी दोनों काम पर जाते हैं। इसलिए बाहर का खाना, पैकेज फूड, प्रोसेस फूड आदि ना चाहते हुए भी लेना पड़ता है। पैकेज फूड में  बहुत ही प्रिजर्वेटिव और हानि कारक केमिकल्स होते हैं।और आजकल तो  शाकभाजी में  भी केमिकल होते हैं। जिसके कारण डाइजेस्टिव सिस्टम  याने पाचन शक्ति  पर बुरा असर होता है। इसके कारण एसिडिटी, खट्टे डकार, गैस, खाना ना पचना यानी अपचन, की समस्या बढ़ गई है। तुलसी में रहे हुए रसायनों से इस सब का इलाज किया जा सकता है। तुलसी का सेवन लीवर की पाचन शक्ति को बढ़ा देता है। इस कारण एसिडिटी, गैस, खट्टी डकार आदि बंद हो जाते हैं। पाचन शक्ति बढ़ने से कब्ज की समस्या भी दूर हो जाती है।


पथरी का इलाज*********तुलसी यूरिक एसिड की समस्या को ठीक करती है। खून में यूरिक एसिड बढ़ जाने से किडनी में पथरी की समस्या बनती है। तुलसी में रहे हुए रसायनों से खून में यूरिक एसिड की मात्रा को ठीक करती है। जिसकी वजह से किडनी की पथरी की समस्या हल हो जाती है।और पथरी यूरिन के साथ निकल जाती है।


मुह और दांत की समस्या का इलाज********* बच्चों में दांत के सड़क की बीमारियां होती है। दांत का  इनेमल धिस जाता है। मुंह की दूसरी बीमारी जैसे कि मुंह में छाले पड़ना,  सांस में दुर्गंध आना आदि में बहुत बढ़ोतरी हुई है। इसका सरल उपाय तुलसी के पाउडर में सरसों का तेल मिलाकर दांत पर घिसने से यह सारी समस्या खत्म हो जाती है।    


शरीर को डीटोक्क्सीफाइड करता है*********शरीर में से सीसा, क्रोमियम, पारा, आर्सेनिक, कैडिमियम जैसे जहरीले केमिकल्स मनुष्य के शरीर में प्रिजर्वेटिव के रूप में जाते हैं। जो शरीर को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। तुलसी के सेवन से जहरीले केमिकल शरीर के बाहर निकल जाते हैं।और शरीर स्वस्थ रहता है। इस तरह शरीर डीटोक्क्सीफाइड याने शरीर की जहरीली गंदकी को बाहर निकालती है। 


                                                               वास्तु शास्त्र और तुलसी                


तुलसी के पौधे का वास्तु शास्त्र  मैं भी महत्व है। वास्तु शास्त्र के हिसाब से आप अपने घर की समस्या दूर कर सकते हो। इसके लिए आपको तुलसी के पौधे को वास्तु शास्त्र के हिसाब से रखना होगा।


अगर बच्चे की पढ़ाई में बाधा आती हो। बच्चे पढ़ाई में कच्चे हो। बच्चे पढ़ने में कमजोर हो आदि समस्या के लिए तुलसी के पौधे को उत्तर दिशा में या उत्तर दिशा की खिड़की के बाहर की जाली में रख सकते हो। इससे बच्चों की पढ़ाई की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।


किसी के भी घर में अगर आर्थिक नुकसान हो रहा है। तो तुलसी के पौधे को ईशान कोने में रखें। जहां ज्यादातर भगवान का मंदिर होता है. इसे आप  ईशान कोने की बालकनी के बाहर भी रख सकते हो।


किसी के घर में अगर क्लेश बढ़ गया है। घर के सभ्य एक दूसरे को पसंद नहीं करते हैं। घर में तनाव रहता है। आपस में झगड़े होते हैं। इस समस्या को निपटने के लिए आपको तुलसी का पौधा घर के अग्नि कोने में रखना चाहिए या फिर रसोई घर में भी रख सकते हैं। यानी इसे आप अग्नि कोने में बालकनी के बाहर जाली में भी रख सकते हो।  


कीसी की दुकान में ग्राहकों की कमी हो। दुकान बरोबर चलती ना हो। इसके उपाय के लिए दुकान की दोनों बाजू तुलसी के गमले को रख दिया जाए तो तुरंत ही समस्या का समाधान होने लगता है।


तुलसी का सेवन किसके लिए वर्जित है?


तुलसी का काढ़ा, तुलसी की चाय, तुलसी का उबला हुआ पानी आदि किसी प्रकार से भी तुलसी का सेवन गर्भवती महिला और जो भी महिला स्तनपान कराती हो उसके लिए भी वर्जित है।


  किस दिन तुलसी के पान नहीं तोड़ने चाहिए?


रविवार के दिन  तुलसी के पान को तोड़ना वर्जित है। कहा जाता है की उस दिन तुलसीजी भगवान विष्णु जी की सेवा में होती है।


कहा जाता है की अभी भी इसका संशोधन पूरा नहीं हुआ है। नए संशोधन हो सकते है। इतने सारे रोगों का इलाज करने की ताक़त एक ही पौधे में एक चमत्कार से कम नहीं है। इसलिए अगर तुलसी को आयुर्वेद में औषधि की माँ या रानी कहा गया है। वह सही ही है।


                                        विष्णुजी और तुलसीजी की कथा                                                                                                                                                              तुलसी का चित्र में वृंदा याने तुलसी और शालिग्राम याने  भगवान विष्णुजी का विवाह बताया गया है . वृंदा ने भगवान विष्णु जी को उसका सतीत्व धोखे से खंडित करने पर श्राप दिया था .जिस के कारण भगवान विष्णु जी पत्थर के शालिग्राम बन गए थे .अपने दुसरे जन्म में वृंदा तुलसी अवतार में भगवान विष्णुजी से विवाह करती है .

शंखचूड नाम का एक असुर था। असुर होने के बावजूद उसकर राज्य में प्रजा सुखी थी। शंखचूड़ असुर ने पुष्कर में जाकर ब्रह्माजी को प्रस्सन करने के लिए हजारो सालो तक तपस्या की। ब्रह्माजी ने शंखचूड़ की तपस्या से खुश होकर वरदान मांगने को कहा। तब शंखचुड ने कहा की मुझे कोई भी देवता पराजित न कर सके ऐसा वरदान दे। ब्रह्माजी ने तथास्तु कहकर वरदान दे दिया और देवता से रक्षा करने हेतु श्री कृष्ण कवच दिया। जिसे हंमेशा गले में धारण करने को कहा। इस प्रकार ब्रह्माजी के वरदान से शंखचुड अजेय हो गया। ब्रह्माजी के कहने पर ही शंखचूड़ ने वृंदाजी से विवाह किया। जो की विष्णुजी की भक्त थी।
 
ब्रह्माजी से देवो से अजय होने का वरदान मिलने पर शंखचूड़ ने स्वर्ग पर आक्रमण करके देवताओ को हरा दिया। इसलिए देवता महादेवजी के पास अपनी रक्षा के लिए गए। महादेवजी ने कई सालो तक युद्ध करने के बाद भी शंखचूड़ को हरा नहीं पाए क्योकि इसे ब्रह्माजी ने कृष्ण कवच दिया था और दूसरी शक्ति उसकी पत्नी वृंदाजी का सतीत्व था। जब महादेवजी भी उसे हरा न सके तब सभी देवता विष्णुजी के पास गए।
 
विष्णुजी ने अपनी शक्ति से देखा की, ब्रह्माजी ने दिया हुआ कवच और वृंदाजी के सतीत्व को हटाए बिना शंखचूड़ को मारना असंभव है। तब विष्णुजी ने छल का सहारा लिया। वह ब्राह्मण का रूप लेकर शंखचूड़ से भिक्षा मांगने गए। जब शंखचूड़ ने ब्राह्मण के रूप में आये विष्णुजी को भिक्षा मांगने के लिए कहा। तब विष्णुजी ने रक्षा कवच मांग लिया। फिर महादेवजी ने शंखचूड़ से युध्ध किया। मगर इस बार,तुलसीजीका सतीत्व शंखचूड़ का कवच बन गया। इसलिए महादेवजी शंखचूड़ को नहीं हरा सके। 

विष्णुजी ने फिर छल किया। इस बार विष्णुजी खुद शंखचूड़ बनकर वृंदाजी के पास गए। वृंदाजी को बताया की देवताको हराकर वह विजयी हो गए है। इस ख़ुशी में वृंदाजी, शंखचूड़ बने विष्णुजी को लिपट गई। विष्णुजी ने वृंदा जी का सतीत्व खंडित कर दिया। इस वजह से महादेवजी के हाथो शंखचूड़ का वध हो गया। मगर वृंदाजी अपने पति के स्पर्श के फरक को पहचान गयी। उनके साथ धोका हुआ है वह समज में आते ही विष्णुजी को श्राप दिया की आपका हृदय पाषाण का है। आने धोके से नारी के सतीत्व को खडित किया है। इसलिए आप भी पाषाण याने की पत्थर हो जाओगे। 

सती का श्राप सुनते ही देवतागण में हाहाकार मच गया। सभी देवता, ब्रह्माजी और महादेवजी के समजाया की आपके श्राप से पूरी सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा और प्रलय आ जायेगा । तब  वृंदा जी ने अपना श्राप वापस लिया और अपने पति के साथ सती हो गयी। उसकी राख से एक पौधे का जन्म हुआ जिसे तुलसी का नाम दिया गया। विष्णुजी ने भी सती के श्राप का मान रखते हुए अपना एक रूप पाषाण याने की शालिग्राम का किया। 

तब से तुलसी और शालिग्राम का विवाह करने की परंपरा शुरू हुइ। कारतकी ११ को "देव उठी अगियारस" के दिन विष्णुजी के उठते ही शालिग्राम और तुलसीजी का विवाह करवाया जाता है। कारतकी पूनम को तुलसीजी विष्णुजी के पाषाण रूप शालिग्राम के साथ स्वर्ग में आती है। इस खुशी में देवतागण स्वर्ग में दिप प्रज्वलित करके दोनों का स्वागत करते है। जिसे देव दीपावली के नाम से जाना जाता है।


नमस्कार  

जरुरी माहिती: इस तुलसी पोस्ट में दी गयी माहिती इंटरनेट से ली गयी है। इसमें दिए हुए सभी रोगो के उपचार  किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह लेने के बाद ही करे। 



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