अनुच्छेद/ पेरेग्राफ | शीर्षक |
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१. | बेसतु वर्ष याने नया साल |
२. | बेसता वर्ष/नया साल की पूजा का मुहूर्त |
३. | बेसता वर्ष/नया साल में गोवर्धन पूजा सामग्री |
४. | बेसता वर्ष/नया साल मे गोवर्धन पूजा विधि |
५. | गोवर्धन पुजा याने अन्नकूट पूजा से जुडी पौराणिक कथा |
परंपरा के अनुसार, बेसतु वर्ष याने नए साल की सुबह प्रातः काल जल्दी उठकर तिल के तेल का मालिस कर के स्नान करना होता है। नए साल का स्वागत फटाके फोड़ने से किया जाता है। ऐसा माना जाता है की फटाके की आवाज़ से घरमे बुरी शक्तिया नहीं आती है।इस दिन व्यापारी के लिए नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है। इस दिन नए चोपड़े में पुराने खाते आगे बढ़ाये जाते है।नए चोपड़े की शुरुआत की जाती है। घर के आँगन में स्त्रीया दीपक जलाती है। लाइट के तोरण प्रकाशित किये जाते है। स्वादिष्ट पकवान और नए व्यंजन बनाये जाते है।
इस दिन आस पड़ोस और सगे संबधी अपने समय के मुताबित एक दूसरे को नए साल की शुभकामना देने जाते है। बच्चे लोग बड़ो के पैर छूकर आशीर्वाद लेते है और बड़े बच्चोको सौगात देते है या पैसे का कवर देते है। साल के पहला दिन होने से लोग अपने मंदिर में अचूक जाते है। भगवान को प्राथना की जाती है। मंदिर को अच्छी तरह सजाया जाता है। भगवान को भी कही स्वादिष्ट पकवान का भोग धराया जाता है। मंदिर में भगवान को अन्नकूट धरा जाता है।
बेसता वर्ष/नया साल की पूजा का मुहूर्त
बेसतु वर्ष या नया साल, कार्तिक माह की शुकल पक्ष की एकम को याने ०२ /११/२०२४ , शनिवार को मनाया जाएगा। नए साल की एकंम का प्रारंभ शुक्रवार ०१ / ११/२०२४ शाम को ०६ :१८ मिनट को होगा। इस नए साल की एकंम की समाप्ति शनिवार वार ०२/११/२० की रात को ०८:२१ मिनट को होगी।
बेसतु वर्ष याने नया साल की पूजा का मुहूर्त शनिवार, १४ /११/२०२४ सुबह ६: ३४ से ०८:४६ मिनट तक है।
बेसता वर्ष/नया साल में गोवर्धन पूजा सामग्री

बेसता वर्ष/नया साल मे गोवर्धन पूजा विधि

पुरुष के आकार की नाभि के पास श्रीकृष्ण की मूर्ति या छबि रखे। पास में दीपक जलाये। एक कटोरी में कच्चा दूध, सक्कर, सेहद, दही और देशी घी मिलाकर पंचामृत बनाकर रखे। कटोरे में पतासे, फल, मिठाई और पानी का लोटा रखे। भगवान कृष्ण की पूजा करे। श्रीकृष्ण को रोली, कुमकुम, चन्दन और अक्षत लगाए। भगवान को फूल की माला चढ़ाये। कपूर, धुप और अगरबत्ती जलाये। दीपक जलाकर भगवान की आरती करे। भगवान को फल,मिठाई और पतासे का भोग धराये। दक्षिणा रखे।
भगवान् की पूजा के बाद, नाभि में एक कटोरा दही डाल कर छाछ बनानेकी जरनी से झेरते है। अंत में एक व्यक्ति हाथ में लोटे से पानी की धार करते हुए आगे चलता है और बाकी सभ्य गोवर्धन की सात बार प्रदक्षिणा करते है। इस तरह पूजा सम्प्पन होती है। इसे गोवर्धन पूजा, अन्नकूट पूजा और प्रतिपदा पूजा भी कहते है।
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के बाद गाय की पूजा करे। गाय को स्नान कराके उसे फूल माला पहनाये। कुमकुम और चन्दन से टिका करे। गाय को चुन्नी ओढ़ाए। गाय के सिंग के ऊपर घी लगाए। गाय को गुड़ खिलाये। इस तरह गाय की पूजा करे।
कहते है इस प्रकार पूजा करने से, लक्ष्मीजी प्रस्सन होती है। घरमे कभी दूध, दही और अनाज की कमी नहीं होती है। घर में अनाज के भण्डार भरे रहते है। श्रीकृष्ण की भी कृपा होती है इसलिए ज़िंदगी सरल हो जाती है।
गोवर्धन पुजा याने अन्नकूट पूजा से जुडी पौराणिक कथा
Bhog decorated Sweets And food in sakta rash 5, Byবাক্যবাগীশ, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0 Govardhan parvat at finger tip, By Piyush Kumar, image compressed and resized, Source is licensed under CC BA-SA 4.0
हर साल ब्रज में इस दिन इंद्र देवता की पूजा की जाती थी। मगर भगवान कृष्ण ने देखा की ब्रजवासी को पुरे साल गोवर्धन पर्वत काम आता है। गोवर्धन पर्वत से ही ब्रजवासी के गाय और पशु को चारा मिलता है। इस पशु से खेती होती है। लोगो को पिने के लिए गाय का दूध मिलता है। पर्वत की जड़ीबूटी से रोगो का उपचार होता है। इस पर्वत की वजह से वर्षा भी होती है। इसलिए बृजवासी के लिए वंदनीय और पूजनीय तो गोवर्धन पर्वत होना चाहिए।
इसलिए भगवान ने ब्रजवासी को समझाया की, इंद्रदेव हम पर वर्षा करते है वह उसका काम है। और गोवर्धन हमारी नि:स्वार्थ सेवा करते है। इसलिए आज से सभी बृजवासी इंद्र की पूजा के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करेंगे। इस दिन से बृजवासीोओ ने गोवर्धन की पूजा शुरू की।
जब ये बात की इंद्र को पता चली तो, इंद्र क्रोधीत हो गए। बृजवासी को सबक सिखाने के लिए इंद्र ने मूसलाधार बारिश की। जिसमे पूरा ब्रज गांव मानो डुब गया। पानी सर के ऊपर से गुजरने लगा। सब पशु और मानव डूबने लगे। तब बृजवासी को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी याने कनिष्ठा याने तर्जनी ऊँगली पे उठा लिया।ये गोवर्धन पर्वत ३०,००० किलोमीटर उचा था। वह राजस्थन में ७ किलोमीटर और बाकी का उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ था। पुरे ब्रिजवासिओ को इस गोवर्धन पर्वत के निचे समा लिया। इस प्रकार भगवान् श्री कृष्ण ने पुरे गांव को बचा लिया।
अब इंद्र ने अपने दूत को बृज गांव में कितना नुकशान हुआ है वह देखने भेजा तो पता चला की पुरे गांव को श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठा कर बचा लिया है। तब वह ताज्जुब हो गए और ब्रह्माजी के पास जाकर पूरा वाक्या सुनाया। तब ब्रह्माजी ने बताया की श्रीकृष्ण विष्णु के अवतार है और धर्म की रक्षा के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया है।
तब इंद्रदेव पृथ्वी पर श्रीकृष्ण की माफ़ी मांगने आये और क्षमा याचना की। इस तरह इस दिन से पृथ्वी पर गोवर्धन की पूजा की शुरुआत हुई। इस के साथ श्रीकृष्ण और उनकी प्रिय गाय माता की पूजा भी शुरू हुई।
बेसतु वर्ष याने नया साल में लोग अच्छे वस्त्र पहन कर, मिठाई और नए पकवान खाकर, आतशबाजी और फटाके फोड़कर, मंदिर में दर्शन करके, एक दूसरे के घर जाकर शुभेच्छा देकर बिताते है।
नूतन वर्षाभिनंदन
आगे का पढ़े : १. भाई दूज २. छठ्ठ पूजा
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3 comments
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