भाई दूज

अनुच्छेद/पेरेग्राफ | शीर्षक |
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१. | भाई दूज, भाई तिलक, भाऊ द्विज ,भाउ बीज, यम द्वितीया, भाई फोंडा |
२. | भाई दूज के दिन की शुरुआत और समाप्ति |
३. | भाई दूज कैसे मनाते है? |
४. | भाई दूज से जुडी पौराणिक कथा। भाई दूज की शुरुआत कैसे हुई? |
कार्तिक माह की शुकल पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। भाई दूज में भाई अपनी शादीशुदा बहन के घर जाता है। शादीशुदा बहन अपने भाई को खाना खिलाती है। अपने भाई को तिलक करती है। अपने भाई की लम्बी उम्र और अच्छी सेहत की कामना करती है।
इसे भारत के विभिन्न भाग में अलग अलग नाम से बुलाया जाता है। जैसे की भाई तिलक, भाऊ द्विज ,भाउ बीज, यम द्वितीया, भाई फोंडा आदि नाम से याद किया जाता है। यह भारत के त्यौहार की परम्परा का एक भाग है। इस दिन यम देवता की पूजा की जाती है।
भाई दूज के दिन की शुरुआत और समाप्ति
भाई दूज की शुरुआत ०२ /११ /२०२४, शनिवार को मनाया जाएगा। भाई दूज का प्रारंभ शनिवार, ०२ /११/२४ रात ८ :२१ मिनट को होगा। और समाप्ति रविवार ०३/११/२०२४ बुधवार रात १० :०० मिनट को होगी।
भाई दूज तिलक करने का मुहूर्त : रविवार,०३ /११/२०२४ दोपहर ०१:१० मिनट से दोपहर ०३:२१ मिनट तक रहेगा। कुल अवधि २ घंटा और ११ मिनट्स की है।
भाई दूज कैसे मनाते है?
Bhai-duj, By Khushboo Goel, having user name khushboo 13391 on Wikimedia, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0यह विधि अगर भाई किसी कारणवश बहन के घर ना जा पाए तो करनी है। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर, उसके ऊपर सूखा नारियल का गोला रखकर,उसे भाई का प्रतिक मानकर उसके ऊपर कलावा बांधे। गोले को तिलक करके अक्षत चढ़ाये। मिठाई भी चौकी पर रखे। दीपक बूजने के बाद मिठाई घर में बाट दे।
इस प्रकार अगर भाई बहन के घर आये तो, भाई के हाथ पर मौली बांधकर, दिप प्रज्वलित करकेआरती करे। भाई को तिलक करे। अपने भाई का मुँह मीठा करनेके लिए मिठाई खिलाये। भाई को तिलक करने के बाद, बहन भी उपवास खोल सकती है और भोजन कर सकती है।
इस दिन शाम के वक्त, आँगन में दरवाजे के पास यम का दिया जलाये। इस प्रकार भाई दूज की समाप्ति होती है।
भाई दूज से जुडी पौराणिक कथा। भाई दूज की शुरुआत कैसे हुई?

एक दिन अचानक यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुंच गए। अपने भाई को अचानक घर मे आते देख यमुनाजी बहुत ही खुश हो गयी। यमुनाजी ने यमराज के लिए अनेक पकवान बनाये। अपने भाई को खिलाये। अपने भाई का बहुत ही अच्छी तरह स्वागत किया। यमराज अपनी बहन यमुनाजी का आदर सत्कार और स्नेह देखकर अत्यंत प्रस्सन हुए।
यमराज ने अपनी बहन को खुश होकर वरदान मांगने को कहा। तब यमुनाजी ने कहा मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस आप हर साल इस दिन को मेरे घर आते रहे। मेरे हाथ से भोजन करो। ऐसी मेरी तमन्ना है। यमराज कुछ ओर मांगने को कहा। क्योकि उनकी व्यस्तता के कारण वह अपना वचन नहीं निभा सकते थे।
तब यमुनाजी ने माँगा की अगर आज के दिन कोई भी भाई अपनी बहन के घर जाकर भोजन करता है। अपनी बहन को मिलकर तिलक करवाता है तो आप उसे अकाल मृत्यु से बचाएंगे। उसे जीवन भर अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। आप उसकी रक्षा करेंगे। इस बात पर यमराज ने "तथास्तु" कहकर स्वीकार किया। यह दिन कार्तिक माह की शुकल पक्ष के दूज का दिन था।
इसलिए उस दिन से भाई दूज का त्यौहार मनाने की परम्परा शुरू हो गई।
आगे का पढ़े : १.छठ्ठ पूजा २.देव दीपावली
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