२६ जनवरी १९५० - गणतंत्र दिवस

                                                  २६ जनवरी १९५० - गणतंत्र दिवस  

                                                          

         Festa della republica 2005 con frecce tricolori, By Anthony Majanlahti, from Rome, italy, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY 2.0

अनुच्छेद/पेरेग्राफ शीर्षक
१. गणतंत्र दिवस
२. १५ अगस्त १९४७ याने स्वतंत्रदिन और २६ जनवरी १९५० याने गणतंत्र दिन में क्या फर्क है?
३. संविधान का पिता बाबा साहेब आंबेडकर
४. भारत के गणतंत्र दिन का तिरंगा
५. गणतंत्र दिन की जानने लायक बाते
६. गणतंत्र दिन और सामान्य प्रजा
७. गणतंत्र दिन का कार्यकर्म शाळा और कॉलेज में
८. गणतंत्र दिन का भव्य समारोह और राजपथ की परेड
२६ जनवरी
, भारत के लिए अति महत्त्वपूर्ण दिन है। इस दिन को भारत क़े "
गणतंत्र" के दिवस के रूप में मनाया जाता है। "गणतंत्र" का अर्थ है गण याने जनता और तंत्र याने शासन याने जनता का अपना शासन।  इस तारीख के साथ भारत का इतिहास जुड़ा हुआ है। २६ जनवरी १९२९ को जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर में कांग्रेस का ४५ वा अधिवेशन हुआ था। उसमे एक प्रस्ताव पारिध किया गया था की अगर २६ जनवरी १९३० तक भारत को अंग्रेज सरकार डोमेनियन याने की स्वशासन का पद प्रधान नहीं करेगी तो भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र घोषित किया जाएगा। मगर अंग्रेज सरकार ने इस प्रस्ताव को कोई महत्त्व नहीं दिया। इसलिए उस दिन से हर २६ जनवरी को आज़ाद होने तक स्वतंत्रता दिन के रूप में मनाया गया। इस तरह इस दिन से आज़ादी की लड़ाई को एक नयी दिशा मिली।

    १५ अगस्त १९४७ याने स्वतंत्रदिन और २६ जनवरी १९५० याने गणतंत्र दिन में क्या फर्क है?

१५ अगस्त १९४७ को अंग्रेजो ने भारत को छोड़ दिया था याने आज़ाद कर दिया था। इस तरह भारत की प्रजा अंग्रेजो के जुल्म से आज़ाद हो गयी थी। इसलिए इस दिन को भारतीय प्रजा स्वतंत्र दिन के रूप में मनाती है।अंग्रेज चले गए थे मगर उनका संविधान वही था। इस संविधान के कायदा और क़ानून से ही अंग्रेजो ने भारतीय प्रजा को गुलाम बना के रखा था। इस संविधान से ही भारत को अंग्रेजो ने बेहिसाब लुटा था और भारतीयों का शोषण किया था। इस  संविधान को फिर से लिखना था। जिसमे हरेक भारतीय को उसका हक़ मिले, चाहे वो गरीब हो या अमिर, कोई भी जाती हो या कोई भी धर्म का सभी वर्ग को समान हक़ मिले। किसी को भी अन्याय न हो। 

यह देश कई रजवाड़े में बटा था। इस भारत को एक देश की भी शकल भी देनी थी। इस नए और स्वतंत्र भारत के लिए एक मजबूत संविधान लिखना था। जिस से किसी को भी अन्याय न हो और सभी वर्ग के लोगो को स्वतंत्र भारत में समान रूप से आगे बढ़ने का मौक़ा मिले। यह बहोत कठिन काम था। यह संविधान लिखने के लिए बाबा साहेब आंबेडकर ने ३८९ लोगो से साथ मिलकर २ साल ११ महीने और १८ दिन में लिखा। इस तरह भारत दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र याने डेमोक्रेसी बना। इस तरह भारत को स्वतंत्रता १५ अगस्त १९४७ को मिली पर २६ जनवरी १९५० को अपना संविधान वाला देश याने गणतंत्र याने डेमोक्रेसी बना। 

                                                        संविधान का पिता बाबा साहेब आंबेडकर   

                        DR. B.R. AMBEDKAROIL PAINTING, By Rajashekharan parameswarn, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0

९ दिसंबर १९४६ में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में और डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर के मार्गदर्शन में भारत के संविधान का गठन किया गया। ये संविधान २ साल ११ महिने और १८ दिन में पूर्ण हुआ। २६ नवम्बर १९४९ के दिन संविधान का कार्य संपन्न हुआ। इसलिए इसे "संविधान दिन" के रूप में मनाया जाता है। इस संविधान में सभा के ३०८ असेम्बली सभ्यो ने जरुरी बदलाव करके २४ जनवरी १९५० को हिंदी और अंग्रेजी में लिखी गई हस्त लिखित संविधान की पूर्ति पर हस्ताक्षर किये। इस पूर्ति को संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई है।  इस के २ दिन बाद याने २६ जनवरी १९५० को सुबह १० बजकर १८ मिनिट को संविधान को लागु किया गया। इसलिए इस दिन को गणतंत्र के रूप में मनाते है।

स्वतंत्र भारत को गणतंत्र देश बनाने के लिए बाबा साहेब आंबेडकर ने ३८९ सदस्यों के साथ अथक प्रयत्न करके संविधान की रचना की। ये संविधान में पहले ३९५ लेख, ८ अनुसूचियाँ और २२ भाग थे। मगर वर्तमान में संविधान में ४४८ लेख, १२ अनुसूची और २५ भाग है। इस संविधान को बनानेके लिए ११४ बार बहस हुई। १२ अधिवेशन और १८६ दिन मीटिंग की गई। इसे बनाने में २ साल ११ महिने और १८ दिन लगे। इसे विश्व का सबसे बड़ा संविधान होने का गौरव प्राप्त है।  इसलिए बाबा साहेब आंबेडकर को संविधान का पिता कहा जाता है। इसे हिंदी और अंग्रेजी में हाथो से लिखा गया था।

                                                            भारत के गणतंत्र दिन का तिरंगा                                           

      
Flag of Indian National Congress, By samanyakannadiga, image compressed and resized, Source is licensed CC BY-SA 4.0
Indian-flag-a4, By Greatthinker2310, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0
जब हम अंग्रेजो से आज़ाद हुए और हमने अपना संविधान भी बनाया और अपनी अलग पहचान के लिए अपना एक राष्ट्रध्वज बनाया जिसे हम तिरंगा भी कहते है। आज़ादी मिलने से पहले कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय पक्ष का ध्वज बनाया था मगर १९४७ में हम जब सही मायनो में, आज़ाद हुए तो कही राजकीय पक्षों ने कांग्रेस के ध्वज को राष्ट्र का ध्वज मानने का विरोध किया इसलिए १९४७ में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की प्रमुखता में एक कमिटी बनाई गई जिसे आज़ाद भारत  देश का राष्ट्रध्वज बनाना था। कही राजकीय पक्ष का राष्ट्रध्वज में धर्म को जोड़ने का भी विरोध किया गया।  

कांग्रेस पक्ष का ध्वज में नारंगी और हरे रंग के बीच में रेटीया का चित्र लगाया गया था। कही राजकीय पक्ष ने कहा की रेटीया अपना पिछड़ापन दिखाता है। जब की हमें एक नया आधुनिक भारत बनाना है। सब की प्रतिक्रया को ध्यान में लेने के बाद डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और कमिटी में कांग्रेस के पक्ष के ध्वज में से बिच का चरखा हटा कर अशोक चक्र को स्थापित किया। इस राष्ट्रध्वज को सभी ने स्वीकार किया और हमें अपना तिरंगा राष्ट्रध्वज मिला।  

                                                                गणतंत्र दिन की जानने लायक बाते  

२६ जनवरी का दिन, १९५० से १९५४ तक दिल्ली के विभिन्न जगह पर मनाया जाता था। ये दिन राज पथ पर १९५५ से मनाया जाता है। २६ जनवरी को राष्ट्रपति को २१ तोपों की सलामी दी जाती है।  इस दिन दुनिया के किसी भी राष्ट्र के नेता को मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के पहले गणतंत्र दिन के मुख्य अतिथि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति शुक्राणु थे। ११ जनवरी १९६६ को हमारे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री का निधन हुआ था, इसलिए इस वर्ष कोई भी देश के नेता को मुख्य  रूप में नहीं बुलाया गया था। भारत के इतिहास में पहली बार राष्ट्रपति एस. राधाकिशन की  तबियत ठीक नहीं होने के कारण  गणतत्र दिन को सलामी नहीं ले सके।

                                                                               गणतंत्र दिन और सामान्य प्रजा 

                                                                Rashtrapati Bhavan and adjacent building illuminate, By https://www.flickr.com/photos/kkoshy, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY 2.0
Taj mahal in Independence Day. By THARUN, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY- SA 4.0

 २६ जनवरी को देश की प्रजा में अपने देश के प्रति उत्साह उमड पड़ता है। सभी अपने देश प्रेम को अपने तरीके से जताते है।अपनी सोसाइटी में रंगारंग कार्यक्रम मनाकर ध्वजवंदन करते है। कही सोसाइटी में इस दिन सामूहिक भोजन भी करते है। बच्चो के लिए खेल की हरिफाई भी करवा के इनाम का वितरण करते है। कही वाहन मालिक अपनी कार, स्कूटर, ट्रक पर छोटा तिरंगा भी लगाते है। इस तरह अपने देश के प्रति प्रेम दर्शाते है। इस दिन हर छोटा या बड़ा आदमी दुकान से छोटे छोटे राष्ट्र ध्वज लेकर अपने घर, दूकान, वाहन और अपने कुर्ते या कमीज पर राष्ट्र ध्वज लगाता है। 

सामान्य प्रजा का सबसे बड़ा ख़ुशी का दिन होता है। इस दिन देश की सभी सरकारी इमारतों को रोशनी से प्रकाशित किया जाता है। रेलवे स्टेशन, राष्ट्रपति भवन, ताजमहल जैसी प्रख्यात इमारतों को लोग देखने जाते है। कही हाउसिंग सोसाइटी, दोस्तों अपना ग्रुप बनाकर देखने जाते है। छोटे बच्चो को स्कूल मैनेजमेंट स्कूलबस में रोशनी दिखने ले जाते है।    

                                                        गणतंत्र दिन का कार्यकर्म शाळा और कॉलेज में                                                                                                                                                                                                                                             Student on street, By Arcedz, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA- 4.0                                                                                          Republic Day of India Celebration, By Vaibhav Balkrishna Wanere, image compressed and resized, Source is licensed 

२६ जनवरी को शाळा और कॉलेज में एक नक्की किये गये समयको जमा होते है। शाळा और कॉलेज के प्रभावी शिक्षक भाषण देते है। देश में गणतंत्र दिन का महत्त्व समजाते है। शाळा और कॉलेज के प्रिन्सिपल भी बच्चो को देशप्रेम, देश की आज़ादी और देश के महान नेता के बारे में बताते है। शाळा और कॉलेज के विधार्थी स्टेज पर से अपने विचार प्रदर्शित करते है।  सब मिलकर शाळा और कॉलेज के प्रांगण में देश के तिरंगे को लहराते है। सभी विधार्थी, सभी शिक्षक, शाळा और कॉलेज के सभी कर्मचारी और प्रिंसिपल याने अध्यापक तिरंगे को सलाम करते है और राष्ट्रगान गाते है। इस प्रकार शाळा और कॉलेज का कार्यक्रम समाप्त होता है।

                                               गणतंत्र दिन का भव्य समारोह और राजपथ की परेड 

                                                                                                                                                                 National days of India, By Asmitghose3, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0                                                                                           Republic Day Parade preparation, By Diplomat Testerman, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0

२६ जनवरी का यह समारोह देश का सबसे भव्य समारोह है जिसकी तुलना किसी भी समारोह से नहीं की जा सकती क्योकि ये अपनेआप में अतुल्य समारोह है। यह समारोह अपने देश की विविध संस्कृति को दर्शाता है। अपनी देश की लश्कर के तीनो विभाग की ताकत दर्शाता है। 

इस समारोह की शुरुआत देश के लिए अपनी जान न्योछावर करनेवाले शहीद जवान को याद करके होती है। भारत के प्रधानमंत्री इंडिया गेट में शहीद जवानों के याद में बनी अमरज्योति पर पुष्प अर्पित करते है। इस तरह अपने देश के लिए  मिटनेवाले अमर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते है। 

इस के बाद में राष्ट्रपति अपने तिरंगे याने राष्ट्रध्वज को लहराते है, २१ तोपों की सलामी दी जाती है। सभी भारतीय अपने स्थान पर खड़े हो जाते है और राष्ट्रगान गाया जाता है। इसके बाद में वीर भारतीय सेना की परेड शुरू हो जाती है। इस परेड देखने का हरेक भारतीय इंतज़ार करता है। इस परेड को देखने के लिए देश विदेश से भारत आते है और करोडो भारतीयों और विदेशी अपने टी.वी. के सामने बैठकर देखते है। भारत के राष्ट्रपति भारत के सशस्त्र दल के मुख्य कमांडर भी है इसलिए २१ तोपों की सलामी लेते है। 

भारतीय परंपरा के मुताबित हर साल गणतंत्र दिन पर किसी भी राष्ट्र अध्यक्ष या कोई विशिष्ठ व्यक्ति को मुख्यअतिथि के रूप में निमंत्रित किया जाता है। इस साल यह सन्मान ब्रिटेन के वड़ा प्रधान बोरिस जॉनसन को आमंत्रित करके दिया गया था। बोरिस जॉनसन आभार प्रगट करके शुभकामना दी और सन्देश दिया की ब्रिटेन में कोविड का नया वायरस मिलने के कारण वह २६ जनवरी की बजाय वर्ष के मध्य भाग में आ सकते है। इसलिए इस बार कोई भी राष्ट्र से अतिथि के रूप में नहीं आएंगे। 

 
                           Agni, By The Original uploader was Nikkul, at English Wikipedia, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY 3.0 BR
           Bridge Layer Tank on Ajeya Manufactured by Heavy Vehicles, By Ministry of Defence, image compressed and resized, Source is licensed under CCBY-SA 4.0
इस परेड के माध्यम से भारत राजपथ पर अपने अत्याधुनिक मिसाइल, तोपों, टेंको और हथियारों को प्रदर्शित करता है। पूरी दुनिया को अपने आधुनिक हथियार की ताक़त बड़े ही गौरव के साथ दिखाता है। इस जोशपूर्ण प्रदशन के बाद, राष्ट्रपति वीर सैनिक और बहादुर नागरिको को मैडल देकर सन्मानित करते है। इस कार्यक्रम के दौरान हेलीकॉप्टर से गुलाब के पंखडिओं की वर्षा  होती है जो पुरे कार्यक्रम को चार चाँद लगा देती है
              Photo D-797/ The tableau of Central Public Works Department, By Public. resource.org., image compressed and resized, Source is licensed under CC BY 2.0

इस के बाद का कार्यक्रम भारत की अनोखी पहचान दुनिया को करवाता है। इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के अनोखे रहन सहन, पहनावा, राज्य की अनोखी पहचान करवाने वाली कोई भी स्थापत्य कला और इमारत की झाकी देखने को मिलती है। यह कार्यक्रम से दुनिया को भारत की विविधता में एकता का दर्शन होता है। यह कार्यक्रम को देखने से आप को पुरे भारत का मानो दर्शन हो जाता है। भारत की विरासत की अमूल्य स्थापत्य कला का ज्ञान, भारत की संस्कृति के दर्शन और हरेक राज्य की अपनी प्रजा की वीरता और विशेषता के भी दर्शन हो जाते है। इसके तरह थोड़े ही समय में आप पुरे भारत का मानो दर्शन कर लेते है।
                                       
Frecce Tricolori, By No machine-redable authorprovided SCDBob-commonwiki (assumed based on copyright clause), image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 3.0 
                        Pradhan Mantri Rastriya Bal Puraskar Medallion, By Rohan 9082, image is compressed and resized, Source is licensed underY-SA 4.0
इसके बाद, परेड के मुख्य आकर्षण की बारी आती है। इस कार्यक्रम का आकर्षण बच्चे होते है। इस में वर्ष भर में बच्चो द्वारा किये गए अपूर्व साहस और उनकी निडरता के लिए राष्ट्रपति द्वारा मेडलों से सन्मानित किये जाते है। ये सभी बच्चे हाथीओ पर सवार होकर आते है। इसके उपरांत देश के विविध राज्यों की स्कूल के बच्चे भी कार्यक्रम में भाग लेने आते है। वह सभी बच्चे भी अपनी नृत्य कला से सबका मन मोह लेते है। अंग्रेजी में कहावत है की "Last but not least" के  मुताबित, अंत में वायु सेना द्वारा आयोजित कार्यक्रम में, महामहिम राष्ट्रपति को अत्याधुनिक लड़ाकू विमान द्वारा सलामी देते हुए मंच के ऊपर से गुजरते है। यह वायु सेना द्वारा दी गई सलामी इस परेड को एक उचाई पर पंहुचा देती है। इस तरह २६ जनवरी के कार्यक्रम समाप्त होता है। 

२७ जनवरी को एन.सी.सी.कैडेट्स अपने आश्चर्यजनक और अद्भुत करतब इंडिया गेट की प्रधान रैली में करते है। यह देखने के बाद हरेक भारतीय अपनेआप को भाग्यशाली समजता है। यह कार्यक्रम सभी देखने वालो का दिल खुश कर देता है। 

आखीर में २९ जनवरी के कार्यक्रम में तीनो सेनाओ के बैंड मिलकर राष्ट्र भक्ति की धुन बजाते है। जिसे "बीटिंग ध  रिट्रीट" का नाम दिया गया है। इस दिन को ही शाम ६:00 बजे बगलर्स रिट्रीट की धुन बजाकर तिरंगे को उतार लिया जाता है और राष्ट्रगान गाकर २६ जनवरी का समापन किया जाता है। 


१. नेताजी  सुभाष चंद्र बोस  २. कुंभ मेला - ३ 

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1 comments:

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Unknown
admin
23 जनवरी 2021 को 12:56 am बजे ×

Vande Matram, Excellent

Congrats bro Unknown you got PERTAMAX...! hehehehe...
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