बसंत पंचमी २०२४

अनुच्छेद | शीर्षक |
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१. | अबूझ मुहूर्त |
२. | वसंत पंचमी की तिथि और मुहूर्त |
३. | माँ सरस्वती की उत्पति |
४. | माँ सरस्वती की पूजाविधि |
५. | वसंत पंचमी लो क्या करे? |
६. | कुम्भ मेला और बसंत पंचमी का स्नान |
७. | श्री कृष्ण और श्री सरस्वती देवी |
८. | पृथ्वीराज चौहान और बसंत पंचमी |
बसंत पंचमी की तिथि और मुहूर्त
बसंत पंचमी माघ माह की शुकल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। इस वर्ष बसंत पंचमी २६ जनवरी २०२३, गुरूवार को आती है। बसंतपंचमी का प्रारंभ मंगलवार १३ फेब्रुअरी २०२४, दोपहर ०२ :४१ मिनट से होगी और समाप्ति बुधवार, १४ फेब्रुअरी २०२४ , दोपहर १२:०९ को होगी। बसंत पंचमी का सरस्वती पूजा का मुहूर्त १४ फेब्रुअरी प्रात: काल ७: ०१ मिनट से दोपहर १२:३५ मिनट तक रहेगा। पूजा का कुल समय ५ घंटा और ३४ मिनट का होगा।
माँ सरस्वती की उत्पति
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हिन्दू पुराणों के अनुसार, इस पृथ्वी की रचना करने के बाद ब्रह्माजी इस रचना से संतुष्ट नहीं थे। उनको ऐसा लगता था की इस पृथ्वी की रचना में कुछ कमी है। पृथ्वी उस वक्त नीरस लगती थी क्योकि चारोओर सनाटा था। तब उन्हों ने विष्णु जी को समस्या बताई। तब विष्णुजी ने कहा जब आपने सुष्टि रची है तो इसका उपाय आपको ही निकालना है। तब विष्णुजी की बात से प्रेरित होकर ब्रह्माजी ने पृथ्वी पर अपने कमंडल से पानी को छिड़का। तब उसमे से चार भुजाधारी अति सुंदर देवी की उत्पति हुई। इनके हाथो में वीणा, वरमुद्रा, वेद और माला थी। जब देवी ने अपनी वीणा से सुर छेड़े तब पूरी पृथ्वी का मानो पूरा वातावरण ही बदल गए। इस प्रकार बसंत पंचमी को माँ सरस्वती की उत्पति हुयी।
पूरा वातावरण रस से भर गया इसलिए उन्हें सरस्वती कहा गया। लोगो को वाणी मिली हवा में सरसरात आ गयी। पक्षी कलरव करने लगे। पूरा पृथ्वी का वातावरण रंगीन बन गया। लोगो को वाणी मिल गयी। पेड़ पौधे खिल गए। पूरा वातावरण में जान आ गयी। सरस्वती देवी के लोगो के जीवन में आने से लोगो में बुद्धि, मेधा का संचार हुआ। लोगो के जीवन में संगीत और एक नया ही जोश आ गया। पृथ्वी का वातावरन रंगीन और जिवंत हो गया। इस दिन नयी फसल से खेल लहलहा उठे मानो पुरी धरती खिल उठी। चारोओर हरियाली छा गई। धरती का मानो नया जन्म हो गया।
माँ सरस्वती की पूजा विधि

बसंत पंचमी को क्या करे ?
हरेक शिक्षण संस्थान में सरस्वती की आराधना की जाती है। विधार्थी को सरस्वती पूजन जरूर करते है। माँ सरस्वती स्थान के सामने अपनी किताब और कलम रखकर पूजा करते है। यह दिन सभी शुभ कार्य के लिए पवित्र माना जाता है। इस दिन बच्चो की पढाई का आरंभ किया जाता है। जिसे अक्षराभ्यास कहते है। इस दिन बच्चो का नामकरण, बच्चो का विधा आरंभ, नया वाहन, नए घर मे गृहप्रवेश आदि के लिए शुभ माना जाता है। संगीतकार अपने वाधो की पूजा करते है। इस दिन घर मे भी पिले पकवान बनाये जाते है।
कुंभ मेला और बसंत पंचमी का स्नान

श्री कृष्ण और श्री सरस्वती देवी
भागवत पुराण के अनुसार श्री कृष्ण ने सरस्वती देवी को वरदान दिया था की अब से बसंत पंचमी के दिन आपकी भी आराधना की जायेगी। तब से माँ सरस्वती की हर बसंतपंचमी के दिन पूजा की जाती है। वह पूजा आज भी जारी है।
पृथ्वीराज चौहान और बसंत पंचमी

१७ वि बार पृथ्वीराज चौहान हार गए। मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान और उनके सेनापति को बंदी बना लिया। बंदी बनाते ही मोहम्मद गोरी ने उनकी आखे फोड़ दी। मोहम्मद गोरी को मिली माहिती के मुताबित पृथ्वीराज चौहान शब्दभेदी बाण चला सकते है। यही बात उसे देखनी थी। इसलिए उसने एक आयोजन किया।
उसने एक पर्वत पर घंट लगाया और उसे बजाया और चौहान को बाण चलाने को कहा। मगर उनके सेनापति ने चौहान को सांकेतिक भाषा में राजा कहा पर बैठा है वह बताया। "चार वास चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुलतान है मत चुको चौहान" इस संकेत मिलते ही चौहान ने अंदाज़ा लगा लिया की मोहम्मद गोरी किस दिशा में कितने अंतर पर बैठा है। घंटनाद होते ही उसने घंट पर बाण चलने के बजाय मोहम्मद गोरी पे बाण चलाया और वही ढेर कर दिया। जब मोहम्मद गोरी के मरने की खबर मिलते ही पृथ्वीराज जी और उनके सेनापति ने एक दूसरे पे वार करके वही प्राण छोड़ दिए क्योकि वैसे भी मोगल छावनी से भाग सकनेवाले नहीं थे।
यह प्रसंग वसंत पंचमी को हुआ था इसलिए याद किया। हमारे हरेक भारतवासी को जानना जरुरी है की हमारे राजा कितने बहादुर और शौर्यवन थे मगर साथ में दयालु और उच्च संस्कार के मालिक थे।
बसंत पंचमी को माँ सरस्वती की उत्पति से पृथ्वी को नया रंग और रूप मिला। पृथ्वी को ज्ञान और बुद्धि का वरदान मिला। पृथ्वी संगीतमय हुयी। पृथ्वी हकारात्मता और नए जोश से भर गई मानो नया जन्म हो गया। इनका मशहूर मंत्र है "ॐ सरस्वत्यै नमः"
आगे का पढ़े : १. छत्रपति शिवाजी महाराज २. महा शिवरात्रि
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