क्रिसमस २०२४

अनुच्छेद/पेरेग्राफ | शीर्षक |
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१. | प्रस्तावना |
२. | दुनिया को यीशु की शीख |
३. | भारत में क्रिसमस कैसे मनाया जाता है? |
४. | क्रिसमस और सांताक्लॉस |
5. | क्रिसमस के पीछे की कथा |
दुनिया को यीशु की शीख
ज़िंदगी में कभी जुठ नहीं बोलना चाहिए। किसीकी निंदा नहीं करनी चाहिए। किसीकी जान नहीं लेनी चाहिए। सभी को एक दूसरे से भाईचारा रखकर जीना चाहिए। हो सके इतनी सबकी भलाई करो। किसीका भी बुरा मत करो। किसी से भी दुश्मनी मत करो। अगर तुमसे कोई दुश्मनी करता है, आपका बुरा करता है, ऐसे आदमी की भी भलाई करो। अपने दुश्मन को क्षमा दो। मनुष्य को सिर्फ रोटी के लिए नहीं जीना चाहिए।
भारत में क्रिसमस कैसे मनाया जाता है?

Mount Mary Chruch (Bombay), By Rakesh Krishna Kumar, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 2.0 New Year Tree in a Turkish Home, By Ail Subway, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 3.

भारत में ईसाइयो याने क्रिस्चियन लोग, अपने घर मे क्रिसमस याने यीशु के जन्मदिन के लिए ३० दिसंबर को केक बनाते है। ३० दिसंबर रातको १२ बजे सभी क्रिस्चियन लोग अपने आसपास के चर्च में जाते है और उनके प्रभु यीशु को प्राथना करते है। प्राथना के बाद, प्रभु यीशु के जन्म दिन की ख़ुशी में केक काटते है। उस केक को प्रसाद की तरह बाटते है। फिर रात को १२ बजे याने ३१ दिसंबर घर जाकर घर का केक यीशु के जन्म की ख़ुशी में काटते है। घर के सभी मेंबर खाते है और पड़ोस में भी बाटते है। इस प्रकार चर्च में केक कटने के बाद ही घरमें केक काटी जाती है।
स्कूल में क्रिसमस त्यौहार मनाने के लिए विद्यार्थी मिलकर यीशु प्रभु के जीवन पर नाटक करते है। विद्यार्थी क्रिसमस ट्री को सजाते है। उसमे लाइटिंग करते है। पुरे क्लास को नकली सांताक्लॉस के तौफे से सजाते है। "जिंगल बेल" नामका प्रसिद्ध गाना गाते है। गाने की धून पर डांस करते है। पूरा दिन हसी ख़ुशी से गुजारते है।
क्रिसमस और सांताक्लॉस


Santa Claus Parade (Toranto) (22634553448), By Randy Landicho, image compressed and resized, Source is licensed under CCBY 2.0 Y Christmas Tree 2, By Yatharth, image compressed and resized, Source is licensed CC BY-SA 3.0
चौथी शताब्दी में एक बुजुर्ग आदमी खिलौना बनाता था और बच्चे जहा भी खेलते थे वहा जाकर बच्चो में बांट देता था। उसका नाम निकोलस था। कहते है की वह तुर्किस्तान के मीरा नाम के गांव में रहता था। जब बर्फमारी होती थी तब खिलौना बाटना मुश्किल हो जाता था। उस वक़्त वो बच्चो के घर के बाहर रात के समय में खिलौना मौजे में रख के आ जाते थे। दूसरे दिन बच्चे अचानक मिले तौफे से बहोत ही खुश हो जाते थे। एक रात को बर्फमारी हद से ज्यादा हो गई और सांताक्लॉस की बर्फ गाडी बर्फ में फस गई। ऐसा लगा जैसे आज बच्चो तक तोहफा नहीं पहोचेगा। उस वक़्त अचानक आकाश में से उड़ती हुई परी आई और सांताक्लॉस के काम से खुश होकर कहा की अब ये बर्फ गाडी आकाश में उड़ सकेगी ताकि बर्फ में फसकर परेशानी न हो। उस दिन से कहा जाता है की, सांताक्लॉस की रेन्डियर वाली बर्फ गाड़ी कई लोगो ने क्रिसमस में उड़ती हुई देखी है।
क्रिसमस के पीछे की कथा
क्रिसमस और सांताक्लॉस एक दूसरे के बिना अधूरे है। आज सांताक्लॉस के बगैर क्रिसमस त्यौहार की कल्पना नहीं कर सकते। सांताक्लॉस की छबि एक अति धनवान, आनंदी, बच्चो से प्यार करनेवाला, सफ़ेद दाढ़ी मूछवाला, लाल कपडे और लाल टोपी पहने हुए एक गोलमटोल आदमी की है। जो अपनी रेन्डियर गाडी [याने की एक बर्फ पर सरकने वाली सलेट जिसे रेन्डियर खींचते है ] पर आता है। बच्चो को क्रिसमस की अगली रात तौफे बाटकर चले जाता है। सांताक्लॉस के लिए बच्चो के मुँह पर तौफे की ख़ुशी ही, उसके लिए क्रिसमस का मनाया जाना है। बच्चे भी इस तौफे का बड़ी बेसब्री से इंतज़ार करते है।
The Crucifixion(sm 2101).By Hans Muelich(1516-1573), image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0क्रिसमस यीशु क्राइस्ट के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। क्रिसमस की कहानी करीब २००० साल पहले की है। बाइबिल के अनुसार, उस वक़्त रोम का शासन होता था। रोम के शासक प्रजा के ऊपर बहुत ही जुल्म करते थे। प्रजा को इस क्रूर शासक से छुड़ाने के लिए परमात्मा ने अपने बेटे को पृथ्वी पर भेजा। यीशु क्राइस्ट को लोग ईश्वर का पुत्र समजते थे। नाशरत में गेब्रियल नाम के स्वर्ग दूत ने मरियम को दर्शन दिए और कहा की तुम एक पवित्र आत्मा की ओर से पुत्र की माता बनोगी। उस वक्त मरियम की सगाई जोसफ से हुई थी मगर विवाह नहीं हुआ था। इसलिए मरियम ने कहा उसकी शादी अभी नहीं हुई है तो यह कैसे संभव है? तब स्वर्ग दूत ने बताया की लोग समजते है की उसकी चचेरी बहन की माँ बनाने की उम्र बित चुकी है मगर उसके वहा भी एक बच्चा ईश्वर की इच्छा से होगा जो ईशु के लिए आगे बढ़ने का रास्ता बनाएग
जब मरियम अपनी चचेरी बहन और उसके पति जकरिया से मिली तब पता चला की मरियम को इशू की माँ बनाने के लिए चुना गया है वह बात स्वर्ग दूत ने जकारिया को बताई थी। स्वर्ग दूत ने यह बात मरियम के मंगेतर जोसेफ को भी बताई ताकि वह मरियम से बेझिजक शादी करे। शादी के बाद,जोसेफ जहा रहते थे यह रोमन साम्राजय का हिस्सा था। उसका राजा अगस्तस अपने राज्य की जनगणना करना चाहता था, इसलिए जोसेफ और मेरी को नाशरत से ७० मिल दूर बेथलहम तक आना पड़ा। बेथलहम में सराय में जगा न मिलने कारण दोनों को एक पशु के वाडे में रहना पड़ा। जहा पर यीशु का जन्म हुआ।
Angel pray at the birth of christ, nativity wellcome V0034629, By Wellcome blog post, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0
यीशु के जन्म समय एक बहोत ही प्रकाशित तारा दिखाई दिया था। कहते उस वक़्त स्वर्ग के दूतो ने बताया था की एक नए राजा का जन्म को चूका है, जो रोमन की प्रजा को जुल्म से छुड़वाएगा। यीशु का जन्म होते ही स्वर्ग दूत ने धरती पर आकर एलान किया की धरती पर सब का रक्षक का जन्म बेथलहम शहर में हो चुका है। इस समय वह एक पशु के वाडे में है। सब ईश्वर के पुत्र यीशु का दर्शन करने गए। इसलिए उस वक़्त रोमन के राजा ने सभी २ साल से बच्चे की क़त्ल करने का हुकम अपने सैनिक को दिया ताकि बच्चा ही मर जाये तो फिर वो राजा कहासे बन पायेगा। जिससे रोमन के राजा सुरक्षित हो जाए।
कहते है ये खबर मरियम और जोसेफ को स्वर्ग दूत ने आकर बताई और मिस्र चले जानेको कहा ताकि यीशु सुरक्षित रहे। वो सब तुरंत मिस्र चले गए और राजा की मृत्यु के बाद ही वापस आये। यीशु क्राइस्ट को लोग ईश्वर का पुत्र समजते थे।
जेरुसलम में एक सत्य पर चलने वाला नेक समोह नाम का इंसान था उसे स्वर्ग दूत ने बताया था की उसकी मौत ईश्वर के पुत्र याने की मसीहा के दर्शन के बाद हो जाएगी। उसने बाल यीशु का दर्शन करते ही उसे मुक्ति मिल गई।
यीशु जैसे बड़े होते गए साथ में उनके अंदर रहे हुए गुण बहार आते गए। वह एक धार्मिक, परोपकारी, सब के मददगार और दयालु इंसान बने। वह एक नेक दिल और प्रभु के बताये हुए मार्ग पर चलने वाला इंसान बना। जकारिया के पुत्र योहन्ना को दूत ने बताया की एक पवित्र आत्मा यीशु में आएगी जो सबका न्याय करेगी। बुरे कर्म करने वालो को सजा मिलेगी। माफ़ी मांगने वालो को माफ़ किया जाएगा। पवित्र आत्मा ने इशू को ४० दिन तक परीक्षा ली मगर यीशु अडग रहे उन्हों ने ४० दिन तक कुछ नहीं खाया।
वहा से यीशु गलील के एक गांव में आये और लोगो को परमात्मा के बताए हुए मार्ग की शिक्षा देने लगे। उनकी सन्देश और बाते सुनकर लोग प्रभावित होने लगे और यीशु को हमेशा के लिए रह जाने को कहा। मगर एक जगह पर शिक्षा देनेके बाद यीशु दूसरे गांव चले जाते थे। इस तरह यीशु से लोग प्रभावित होकर उनके अनुयायी बनाने लगे। इस तरह लोग जुड़ने लगे। यीशु भी अपने चमत्कार से लोगो की भलाई करने लगे। किसी के शरीर को शैतानी ताक़त से बचाया। तो किसी को धर्म का सही मार्ग दिखाया। यीशु की इस निस्वार्थ भावना से लोग उनके साथ जुड़ने लगे। यीशु को परमात्मा का बेटा समझने लगे।

एक बार जाहिर स्थल पर जब यीशु के सामने एक कही सालो से बीमार आदमी को लाया गया। जो अपने बिस्तर से कही सालो से उठ नहीं सका था। उसे यीशु ने कहा तुम्हारा सारे पाप माफ़ किया जाता है अब तुम अपने बिस्तर से उठ जाओ और वह आदमी थोड़ी ही देर में उठकर चलने लगा यह चमत्कार को देखकर सारे धर्म गुरु चिंतित हो गए। वह धर्म गुरु जो धर्म के नाम पर ऐयाशी कर रहे थे।
अब यीशु ने अपने हजारो अनुयायी में १२ अनुयायी को चुनकर प्रचारक बनाया गया। उनके नाम पुत्रोज, उसका भाई एनड्रियाश, योहन्ना, याकूब, थोमा, फिलितोष, मट्टी, हल्फ़ाइ का पुत्र याकूब, बर्थनोमाइ समोहा, बारतूइने, यहूदा आदि थे।
यीशु अपने अनुयायी के साथ एक नगर से गुजर रहे थे तब उनके सामने एक जवान लड़के की लाश को ले जा रहे थे। उसकी माँ बहोत ही विलाप कर रही थी। वह उसके बेटे की मौत सहन नहीं कर पा रही थी। यीशु को देखकर वह उनसे लिपटकर रोने लगी तब यीशु ने उसे सांत्वना देते हुए अलग करके उसके बेटे को उठने को कहा। यीशु के शब्द सुनते ही मानो चमत्कार हुआ और वह जवान ज़िंदा हो गया। इस चमत्कार को देखकर सभी धर्म गुरु परेशान हो गए। सभी धर्म गुरु को राजा के सामने अपनी जगह खतरे में लगी। यही से सब धर्म गुरु ने मिलकर यीशु को फ़साने की साज़िश में लग गए।
यीशु यहूदिया से कलित जाने के लिए रवाना हो गए। रास्ते में पहाड़ पड़ते थे इसलिए उन्हें समानिया से होकर जाना पड़ा। समानिआ से यहुदीओ की दुश्मनी थी। समानिया में प्यास लगने पर इशू ने एक स्त्री से पानी मांगा तो इस स्त्री ने यीशु के यहूदी होने पर पानी देने से मना कर दिया। तब यीशु ने स्त्री को कहा की मेरे पास ऐसा पानी है जिसके पिने के बाद प्यास नहीं लगेगी। तब स्त्री ने पानी देने के लिए कहा। तब यीशु ने स्त्री को अपने पति को भेजने के लिए बोला तो स्त्री ने कहा मेरा कोई पति नहीं है।
यीशु ने स्त्री का पूरा भूतकाल बताते हुए कहा तूने पांच पति किये थे और अभी तुम किसी ओर के साथ रहती हो। तब स्त्री ने समानिया में जाकर बताया की, यीशु नाम के बड़े ही ज्ञानी पुरुष जो की खुद ईश्वर के अवतार लगते है, वह समानिया के बाहर आये है। इस तरह लोगो के आग्रह से इशू समानिया में २ दिन रहे। इस तरह यीशु जहा भी जाते थे लोग उनके भक्त हो जाते थे। अब तो अलग अलग प्रान्त से लोग जुड़ने लगे थे। अब लोगो को विश्वास हो गया था की वह परमात्मा का बेटा ही है। जो सब की भलाई के लिए आये है।
यीशु अब जेरुसलम जाने के लिए तैयार हो गए। उसने अपने अनुयायी को पहले ही बता दिया की अब मुझे गैरयहूदियों को सोपने का समय आ गया है। गैरयहूदी मेरा विरोध करेंगे। मुझे जूठे इलज़ाम में फसायेगे। मुज पर जुल्म करेंगे। मुझे कोड़े मरेंगे। फांसी पे लटकायेगे मगर परमात्मा का बेटा तीन दिन के बाद फिर से ज़िंदा हो जायेगा।
जेरुसलम में यीशु का अभूतपूर्व स्वागत हुआ। पुरे नगरवासी जमा हो गए। यीशु का जय जयकार किया गया। जेरुसलम में जाकर यीशु ने देखा की धर्मगुरुो ने प्राथना स्थल को व्यापारिओं को भाड़े पर देकर वह पर भेड, बकरी और पक्षी का व्यापार शुरू कर दिया है ये सब देखकर यीशु और उसके अनुयायी ने पूरा प्राथना स्थल पर से व्यापारी को भगा दिया।
इस प्रसंग से धर्मगुरु को अपना वर्चस्व कम होता दिखने लगा। जेरुसलम के धर्म गुरु को अपना सामाजिक होदा पर खतरा लगा। इसलिए बड़े धर्मगुरु ने अपने शिष्यों को भेजा और यीशु को पकड़कर लाने के लिए कहा। यीशु के प्रति जनसमूह का आदर देखकर वो डर गए और नहीं पकड़ सके। गैरयहूदि शिष्यों ने अपने गुरु को यीशु की ख्याति के बारे मे बताया और सलाह दी की यीशु को पकड़ने के लिए उसके ही समूह का अनुयायी को फोड़ना होगा।
मगर यीशु ने अपने अनुयायी को बुलाकर बताया की यह हमारा साथ में अंतिम भोजन है। आज के बाद हम सब बिखर जाएंगे। जो मुज से गद्दारी करनेवाला है वह मेरे साथ ही है। आज के बाद मुज पर यातनाए शुरू हो जायेगी। मुज पर कोड बरसाए जायेंगे। मुझे कैद किया जाएगा। फांसी पे लटकाया जाएगा। ये टल नहीं सकता क्योकि ये पहले से तय है।
धर्मगुरु के षड़यंत्र के मुताबित, धर्म गुरु के शिष्यों ने यीशु के अनुयायी यहूदा को सुवर्ण मुद्रा की लालच देकर फोड़ दिया। धर्म गुरु के शिष्यों यीशु को एकांत में पकड़ना चाहते थे। मगर यीशु हमेशा लोगो से घिरे रहते थे। यहूदा ने रात के वक़्त यीशु को अकेले देख शिष्यों को खबर देकर यीशु को पकड़वा दिया। धर्मगुरु ने रोम कि सता के सामने यीशु के ऊपर जूठा इलज़ाम लगाया की यीशु अपने आप को परमात्मा का पुत्र बताकर भोलीभाली प्रजा को गुमराह करता है। उसे शासक के खिलाफ भड़काता है।
The Crucifixion MET DT 10248, By Bartolome Esteban Murillo (1617-1682), image compressed and resized, Source is licensed under CC0 1.0इस प्रकार गिलोल के शासक हेरोदेस को और जेरुसलम के गवर्नर पीलातुस को यीशु के खिलाफ कर दिया और यीशु को कोडे मारकर फांसी की सजा मुकर्रर की गई, और यीशु को सर पर कांटे का ताज पहनाया गया। बेहिसाब कोडे मारकर फांसी के मंच पर चढ़ा कर उनके हाथ और पैर में खिले गाड़े गए और फांसी देकर मार दिया गया। मगर यीशु ने मरते वक़्त परमात्मा को यही कहा की "हे, परमात्मा आप इन सब को माफ़ कर देना ये नहीं जानते की ये लोग क्या कर रहे है।" यीशु ने अपने प्राण त्याग दिया। कहते की उस वक़्त सूरज काला पड गया और धरती कांपने लगी। चर्च के पडदे फट गए थे। यीशु के शव को एक कबर में रखकर कबर को बंध कर दिया गया। उस वक़्त यीशु की माता के साथ गिलोल से जेरुसलम तक कई औरते आई थी। उन सब ने यीशु की कबर बंध होनेके बाद ही बिदाई ली। यीशु का यह अंजाम देखकर, यीशु के धोकेबाज़ साथी को पछतावा हुआ और उसने भी पैड से लटक कर आत्म ह्त्या कर ली।

नए सप्ताह के पहले दिन सभी महिलाए और मरियम सुगन्धित जड़ीबूटी लेकर कबर में रखने आयी तब उन्हों ने देखा की कबर खुली हुई है और अंदर यीशु की लाश भी नहीं है। सभी महिलाए कबर में यीशु को ढूंढ रही थी इतने में स्वर्गदूत प्रकाशित हुए और कहा की आप सब जिन्दा आदमी को क्यों मुर्दा घरमे ढूंढ रहे हो। यीशु तो तीन बाद ही ज़िंदा होकर चले गए।

ये खुश खबरी मरियम और महिलाओ ने यीशु के अनुयायी को दी। सभी अनुयायी मिलकर यीशु को प्राथना करने लगे। तब यीशु प्रगट हुए और अपने अनुयायिओं के साथ ४० दिन रहे। इस दौरान यीशु ने अपने अनुयायीओ को धार्मिक बाते और सन्देश दिए और इस धार्मिक बातो और सन्देश को लोगो तक कैसे पहुंचना है वह बताया। इस ४० दिन, मानो यीशु ने अपने अनुयायी को धर्म का प्रचार करने सिखाया। यह धार्मिक बातो से ख्रिस्ती धर्म बना।
क्रिसमस यही ख्रिस्ती धर्म का त्यौहार है।
विशेष माहिती : यह पोस्ट मैंने इंटरनेट और धार्मिक पुस्तक से जानकार लिखी है। मेरा इरादा कोई भी धर्म के बारे मे टिपण्णी करना या अयोग्य लिखना नहीं है।
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1 comments:
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