गणेश चतुर्थी २०२४
Ganesh Chaturthi Mahotsav celebrates in a particular area or a Mohalla, by contributing an amount by each shopkeeper and house as per their wish.
नंबर | शीर्षक |
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१. | गणेश चतुर्थी प्रस्तावना |
२. | गणेश चतुर्थी का महोत्सव कब है? |
३. | गणेश चतुर्थी में क्या नहीं करना चाहिये? |
४. | गणेशजी के प्रागट्य दिन की कथा |
५. | गणेशजी देवो में प्रथम पूजनीय कैसे बने? |
६. | गणेश चतुर्थी गणेशोत्सव कैसे बना? |
७. | गणेश चतुर्थी घर में कैसे मनायी जाती है? |
८. | सार्वजनिक गणेश चतुर्थी कैसे मनायी जाती है? |
९. | गणेशजी का विसर्जन |
गणेशजी हिन्दूओ के पहले आराध्य देव है। गणेशजी को ज्ञान के देवता माना जाता है। गणेशजी की कृपा होने पर इंसान को अच्छे, बुरे, सही और गलत का ज्ञान होने लगता है। इस से उसकी प्रगति जल्दी होने लगती है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेशजी का ही स्मरण किया जाता है।
हिन्दू के कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेशजी के आशीर्वाद लेने के बाद ही की जाती है। कोई भी कार्य ,जैसे की बच्चे का स्कुल में दाखीला हो, किसी का विवाह हो, नए घर प्रवेश का वास्तु हो, नए नौकरी या धंधे की शुरुआत हो, नया वाहन ख़रीदा हो, कुलदेवी का हवन हो या कोई भी धार्मिक अनुष्ठान हो वगैरा वगैरा। कोई भी पूजा में गणेशजी का स्थान प्रथम ही होता है। लोगो की यह श्रधा है की, गणेशजी के नाम से शुरुआत करने से कार्य में विध्न कभी नहीं आता है और कार्य सफलता पूर्वक पूरा हो जाता है। इसलिय गणेशजी के १२ नाम में से एक नाम "विध्नहर्ता" है |
वक्रतुंड महाकाय: सूर्य कोटि समप्रभ निर्विध्न्म र्कुर में देव: सर्व कार्यसु सर्वदा| विशाल काय शरीरवाले और टेढी सुंढवाले, करोड़ो सूर्य सामान तेजवाले, हे देव,गणेशजी, मेरे सम्पूर्ण कार्य को हंमेशा विघ्न रहित करे। २
गणेश चतुर्थी का महोत्सव कब है?
गणेश चतुर्थी का महोत्सव हिन्दू केलेण्डर के अनुसार, भाद्रपद माह के शुकल पक्ष की चतुर्थी से प्रारम्भ होता है |भाद्रपद माह के शुकल पक्ष की चतुर्थी का प्रारम्भ शुक्रवार 0६ सितम्बर, २०२४ को दोपहर ०३:०१ मिनट से होगा। भाद्रपद माह के शुकल पक्ष की चतुर्थी की समाप्ति शनिवार, ०७ सितम्बर,२०२४ शाम को ०५: ३७ मिनट को होगी। इस साल गणेश चतुर्थी शनिवार ०७ सितम्बर,२०२४ को मनायी जायेगी |
पूजा का शुभ मुहूर्त ११. ०३ मिनट से दोपहर ०१ :३४ मिनट को रहेगा। (२ घंटा ३१ मिनट)
चंद्रदर्शन निषेध का मुहूर्त वार सितम्बर, २०२४ सुबह ०९: ३० मिनट से रात को ०८:४३ मिनट का होगा। राहु काल समय :सुबह ०९ :१९ से सुबह १०:५२ तक रहेगा।
महोत्सव की समाप्ति याने गणेश जी का विसर्जन भाद्रपद माह की शुकल पक्ष की चतुर्दशी को होती है। महोत्सव की समाप्ति (गणेश विसर्जन ) मंगलवार , १७ सितम्बर २०२४ को होगी।
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गणेश चतुर्थी में क्या नहीं करना चाहिए?
*** गणेश चतुर्थी के महोत्सव की पूजा में तुलसी को नहीं चढ़ाना चाहिए। कहा जाता है की तुलसीजी ने गणेशजी को श्राप दिया था। *** गणेश चतुर्थी के महोत्सव में काले और नीले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। महोत्सव में लाल का केशरिया वस्त्र पहनना चाहिए।
*** गणेश महोत्सव में हमेशा नयी मूर्ति की ही स्थापना करनी चाहिए। पुरानी मूर्ति पानी में विसर्जित कर देनी चाहिए।
*** गणेश महोत्सव दरमियान हो सके तो व्यसन नहीं करना चाहिए।
गणेशजी के “प्रागट्य दिन” की कथा

इतने में महादेवजी आ गए और भीतर जाने लगे तो गणेशजी ने, महादेवजी को भीतर जाने से रोका। तब महादेवजी क्रोधित हो गए। मगर गणेशजी ने फिर भी नहीं जाने दिया। दोनों में काफी वाद विवाद होने लगा। परिणाम स्वरुप, महादेवजीने अपने त्रिशूल से गणेशजी का सर काट दिया।
पार्वतीजी को जब गणेशजी के वध की बात पता चली, तो वह क्रोधित हो गए और पूरी सुष्टि को मिटाने को तैयार हो गई। तब महादेवजी ने गणेशजी को फिर से जीवित करने का वादा किया। जब की गणेशजी का असली मस्तक कटकर चन्द्रलोक चला गया था। इसलिए महादेवजी ने सबसे पहले उत्तर दिशा में जो भी मिले उसका सर लाने का आदेश दिया।
जब उत्तर दिशा से महादेवजी की आज्ञा के अनुसार सबसे पहले गजराज का मुख मिला। इसलिए गजराज का मुख
लाया गया। महादेवजी ने बालक के शरीर पर हाथी का सर जोड़ दिया और इस तरह गणेशजी को
फिर से जिंदा कर दिया इसलिए गणेशजी को “गजानन “ भी कहा जाता है|
गणेशजी को सुमुख, एकदंत , कपिल, गजकर्ण, लंबोदर, विकत, विनायक, धूम्रकेतु , गणाधाक्षाय, भालचंद्र, गजानन और विघ्न नाशक भी कहा जाता है। यह सब नाम के पीछे कोई प्रसंग जुड़े हुए है।
गणेशजी देवो में प्रथम पूजनीय कैसे बने?

सभी देवता अपने वाहन पे सवार होकर चल दिए। मगर गणेशजी, जो ज्ञान और बुध्धि के देवता कहे जाते है। ,वह पृथ्वी के चक्कर काटने बदले, कैलाश पर्वत पर बिराजमान अपने माता पित्ता, महादेवजी और पार्वतीदेवी की तीन बार परिक्रमा करके ब्रह्माजी के पास सबसे प्रथम पहोच गए।
ब्रह्माजी ने जब जाना की, गणेशजी ने पृथवी की परिक्रमा करने की बजाय अपने माता पिता की परिक्रमा की है। तब वह अति प्रस्सन हुए। ब्रह्माजी गणेशजी का कहने का भावार्थ समज गए की प्रत्येक व्यक्ति के लिए, अपने माता पिता ही पुरे संसार के समान होता है। माता पिता के आगे पूरा संसार छोटा है। अपने माता पिता ही इस संसार में सबकुछ है। ब्रह्माजी ने गणेशजी को प्रथम पूजनीय देवता का स्थान दे दिया। इस प्रकार ज्ञान और बुध्धि के देवता ने अपनी बुध्धि के बल से, सभी देवता को परास्त करके, प्रथम पूजनीय देवता का स्थान हासिल कर लिया।
गणेश चतुर्थी गणेश महोत्सव कैसे बना?
पुणे में शिवाजी की माता जिजामाता ने लोकप्रिय “क़स्बा गणपति” की स्थापना की, तब से गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी की घर मे स्थापना की शुरुआत हुई। पहले गणेशजी की स्थापना घर तक ही सिमीत थी। उसके बाद राष्ट्रकुद और चालुक्य जैसे पेश्वा ने इस परम्परा को आगे बढाया। मगर तब भी गणेशजी की स्थापना घर तक ही सीमित थी।

भारत में आज़ादी की लड़ाई चल रही थी। इस लड़ाई में जोश पैदा करने की जरुरत थी। मगर पूरा देश जाती और वर्णों में बटा हुआ था। | देश क्षत्रिय ,ब्राह्मण ,वैश्य और शुद्र में बटा हुआ था। पूरा देश जाती और धर्म में बटे होने के बावजूद, पूरा देश का मकशद एक ही था। वह मकसद था आज़ादी। इसलिए पुरे देश को जोड़ना जरुरी था गणेश जी सब हिन्दू के आराध्य देव है। सब हिन्दू गणेशजी को अपना प्रथम देव मानते थे। सब हिन्दू राजा, प्रजा, स्त्री, पुरुष चाहे वह क्षत्रिय,ब्राह्मण,वैश्य या शुद्र हो, गणेशजी सबके आराध्य देव है।
बाल गंगाधर तिलक आज़ादी के एक लड़वैया थे। उनका आज़ादी का नारा था की “स्वराज मेरा जन्मसिध्ध अधिकार है, मै इसे लेकर रहूँगा। बाल गंगाधर तिलक जी ने, सभी भारतीय को चाहे वह राजा हो या प्रजा, आमिर हो या गरीब, स्त्री हो या पुरुष, सबको साथ लाने के लिए ही गणेश चतुर्थी को महोत्सव का रूप दिया। एक दिन के उत्सव को १० दिन का महोत्सव बना दिया। गणेशजी हिन्दू के प्रथम देव होने के कारण सभी जाती और वर्ण के लोग इस सार्वजनिक उत्सव में जुड़ने लगे। छुआछूत का मामला भी काफी हद तक सुलज गया। इस गणेशोत्सव धीरे धीरे महाराष्ट्र के बार भी फ़ैलाने लगा। लगभग पूरा देश इस से जुड़कर एक हो गया।
पूरा देश का मकसद आजादी ही था,मगर सबको जुड़ने के लिए कोई प्लेटफोर्म नहीं था। वह सार्वजनिक गणेशोत्सव से मिल गया। अब सब खुलकर आज़ादी की बाते करने लगे। इस कार्यकर्म में विद्धार्थी भी जुड़े। आजादी की लड़ाई में नया जोश आ गया। एक नया ही माहोल सज गया। सब आपसी भेदभाव भूलकर एक हो गए। लोग अंग्रेजो का विरोध जाहिर में करने लगे।
गणेश चतुर्थी घर मे कैसे मनायी जाती है?
प्रथम पुरे घर की सफाई की जाती है।घर को गंगा जल से पवित्र किया जाता है। घर के उतर पूर्व में गणेशजी के स्थापन के लिए बाजोठ बिछाया जाता है। बाजोठ के उपर लाल कपड़ा बिछाया जाता है। लाल कपड़े के ऊपर अक्षत रखा जाता है।उस अक्षत के ऊपर गणेशजी को बिराजमान किया जाता है फिर गणेशजी को गंगा जल से नहेलाया जाता है। नए कपडे के तौर पर जनोई या मौली पहेनाई जाती है। इत्र लगाया जाता है।
गणेशजी की बायीं ओर अक्षत रखा जाता है। फिर तांबे के कलश के ऊपर कंकू से स्वस्तिक बनाया जाता है। हल्दी से स्वस्तिक में चार हल्दी के तिलक किया जाता है। अब इस कलश को आम के पत्ते से सजाया जाता है। इस आम के पत्ते के बीच में पानी से भरा हुआ नारियेल रखा जाता है। नारियेल पर लाल कलावा बांधा जाता है। इस कलश को गणेशजी की बायीं ओर रखे गए अक्षत के ऊपर स्थापित किया जाता है।
अब अक्षत को गणेशजी की दायी ओर रखा जाता है। गणेशजी के सामने तांबे के थाल में भोग चढाया जाता है। भोग में मखाने छुआरे, काजू, किसमिस, बादाम और गणेशजी के अति प्रिय मोदक रखे जाते है। ५ फल भी रखे जाते है। जिस में गणेशजी के प्रिय केले जरुर रखे जाते है। गणेशजी को अति प्रिय दूर्वा और जसवंत के फुल भी रखे जाते है। एक तांबे की पवाली में पंचामृत भी रखा जाता है।
गणपतिजी को प्रिय भोग लगाने के बाद, धुप और अगरबत्ती जलाई जाती है। शुध्ध घी का दीपक जलाकर आरती उतारी जाती है। साथ में तांबे की घंटी या शंख बजाकर वातावरण को पवित्र किया जाता है। भक्तगण साथ में ताली बजाकर सपोर्ट करते है। आरती समाप्त होने के बाद में दीपक गणेशजी की दाई ओर रखे गए अक्षत पर रखा जाता है। इस तरह से गणेशजी का घर में स्वागत किया जाता है। इस दिन पुरे घर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। घर में सच में गणेशजी पधारे हो वैसा हसी ख़ुशी का माहोल छा जाता है।
सार्वजनिक गणेश चतुर्थी कैसे मनाई जाती है?

सार्वजनिक गणेश चतुर्थी एक पूरा महोल्ला या पूरी गल्ली इक्ठ्ठा होकर एक मंडल बनाते है। मंडल के कार्यकर्ता द्वारा पुरे महोल्ला या पूरी गल्ली के हर एक घरमे जाकर चंदा इक्ठ्ठा किया जाता है। इस पैसे से बड़ा पंडाल सजाया जाता है। रंगीन कपड़ो और बंबू से पंडाल बनाया जाता है। बड़ा सा स्टेज पर गणेशजी के लिए शानदार सिंहासन सजाया जाता है। पूरा पंडाल रंगीन लाईट के तोरण से सजाया जाता है। यहाँ गणेशजी की १० फिट से २० फिट की मूर्ति लायी जाती है। इस मूर्ति को ट्रक से लाया जाता है।
गणेशजी का स्वागत बड़े धूम धाम से बेंड-बाजे के साथ किया जाता है। ट्रक के आगे गल्ली,मोहल्ले के बहुत से लड़के और लडकिया गाने के धुन पर नाचते है। सिटी भी बजाते है। अबिल और गुलाल उड़ाया जाता है गणेशजी का बड़ा ही जोरदार स्वागत किया जाता है। पंडाल में रखे सिंहासन में गणेशजी को बिराजमान किया जाता है। मंडल के कार्यकर्त्ताओ द्वारा, गणेशजी को फुल हार से, आभूषण से और वस्त्र के तौर पे गले में लाल रंग के खेस से सजाया जाता है। पंचामृत और प्रसाद का भोग लगाया जाता है।
जो भक्तगण आरती का लाभ लेने के लीए सबसे ज्यादा बोली बोलता है। वह पंडाल में गणेशजी की आरती उतारने का सौभाग्य मिलता है। इस तरह हर रोज ज्यादा से ज्यादा बोली बोलनेवाले को आरती का लाभ मिलता है। आरती के वक़्त सारा मोहल्ला या गल्ली पंडाल में जमा हो जाता है और ताली बजाकर साथ में एक सुर में आरती बोलते है। तब पूरा वातावरण पवित्र हो जाता है। १० दिन बड़े ही धूम धाम से गणेशजी की पूजा आरती की जाती है। सार्वजनिक पंडाल होने के कारण कोई भी भक्त गणेशजी के दर्शन के लिए आ सकता है। कई सार्वजनिक गणेशजी के आगे लोग मन्नत मांगते है। मन्नत पूरी होने पर फिर से दर्शन करने आते है।
लाल बाग़चा राजा
Lalbaug , Neha Rajan Thapar, JPG image compressed and resized, source, is licensed under CC BY-SA 4.0 Mumbai's Ganesh Festival (3885223022) by urbz, JPG image compressed and resized, source is under CC BY 2.0
महाराष्ट्र के मुंबई में “लाल बाग़ चा राजा” के नाम से मशहूर गणेशजी के दर्शन करने के लिए, हररोज़ ५ किलोमीटर की लम्बी लाईन लगती है। लालबाग चा राजा का सबसे ज्यादा चढ़ावा २०१८ में रुपये २२ करोड़ था। यहाँ मानी हुई मन्नत जरुर पूरी होती है। यहाँ गणेश जी का दर्शन करने लोग अलग अलग राज्यों से आते है। यहाँ बड़े बड़े बोलीवूड कलाकार और कंपनी के सीइओ भी आते है। गणेशजी की मूर्ति की हाइट लगभग २० फिट होती है। इसे बनाने में २ से ३ महीने लगते है। इन चढ़ावो से मिले पैसे से लोगो की भलाई के कार्य किये जाते है।
ऐसे पंडाल मुंबई की गली गली में होते है। ”लाल बाग़ चा राजा“ के उदाहरण से समजा जाता है की मुंबई में गणेश चतुर्थी का कितना महत्व है। लोगो को गणेशजी पर कितनी श्रध्धा है।
गणेशजी का विसर्जन

A clay Ganesh Visarjan India 2012 by Chetan GOLE, JPG image compressed and resized, source, is licensed under CC BY-SA 2.0
1 comments:
Click here for commentsGanpati Bappa Morya 🙏
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