शिलाजीत -आयुर्वेद देशी वियाग्रा से भी कही ज्यादा
अनुच्छेद | शीर्षक |
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०१ | शिलाजीत- वियाग्रा से कही ज्यादा |
०२ | शिलाजीत कैसे बनता है |
०३ | शिलाजीत कौनसी पहाडियों में बनती है? |
०४ | आयुर्वेद का उत्तम और अनमोल रसायन |
०५ | शिलाजीत सेवन के लाभ |
०६ | सही शिलाजीत की पहचान कैसे करते है ? |
०७ | शिलाजीत का सेवन कैसे किया जाता है ? |
०८ | शिलाजीत को किसे नहीं खाना चाहिए? |
शिलाजीत कैसे बनता है?
शिलाजीत को संस्कृत में शिलाजितु, गिरिजा, बंगाली में शिलाजातु, अंग्रेजी में मिनरल पिच, ज्यूस पिच, स्पिलट, पर्सियन में मोबियो, ग्रीक में मुबीजो, अरेबिक में हजरत उल मुसरा और मेडिकल टर्म्स में धातु रस और शिला धातु भी कहा जाता है।
शिलाजीत कौनसी पहाडीओ में बनती है?
शिलाजीत का प्रमुख स्थान हिमालय की पहाड़िया है। उत्तराखंड की पहाड़ियों से लेकर हिमाचलप्रदेश, अरुणचाल प्रदेश की पहाड़ियों से तिब्बत तक की पहाड़ियों में पाया जाता है। इसके उपरांत अफ़ग़ानिस्तान,कश्मीर और पीओके में, गिलगित और बाल्टिस्तान की पहाड़ियों में भी पाया जाता है।
आयुर्वेद का उत्तम और अनमोल रसायन
शिलाजीत आयुर्वेद का उत्तम और अनेक खूबियों से भरा हुआ रसायन है। शिलाजीत को जनता उस के यौन शक्ति बढ़ाने वाली खूबी से ही परिचित है। उसके लिये सामान्य जनता उससे दुरी बना के रखती है। या उसका प्रयोग छीपके से करती है। शिलाजीत के लिए महर्षि चरक ने कहा है की इस पृथ्वी पर ऐसा कोई असाध्य रोग नहीं है जिसे शिलाजीत अपने बल से उसका नाश न सके।
शिलाजीत में लोह, कैल्शियम,फोस्फरस, मैग्नीशियम, आयोडीन,एंजाइम,बेन्जोइक एसिड,पोटास,अलबुलिक हिप्यूरिक एसिड, फुलविक एसिड,ह्यूमिक एसिड जैसे करीब ८० प्रकार के घटक है जो उसे एक मजबूत रसायन बनाता है। अगर शिलाजीत का प्रयोग सही तरीके से सही मात्रा में और सही समय तक किया जाए तो वह अनेक रोगो को मिटा सकता है। शिलाजीत के लिए काफी संशोधन आज भी हो रहे है। शिलाजीत इंसान और जानवर दोनों में फ़ायदाकारक साबित हो रहा है।
शिलाजीत सेवन के लाभ
**** शिलाजीत यौन शक्ति को बढ़ता है। हजारो सालो से यौन शक्ति बढाने के लिए इसका प्रयोग होता है। यौन से लगती कोई भी समस्या के लिए रामबाण औषध है। यह बात जग जाहिर है। इसके सेवन से पुरुष के यौन अंगो में मजबूती आती है। पुरुषो के स्पम काउंट में बहुत ही बढ़ावा होता है।
****शिलाजीत पुरुषो का बांजपन दूर करता है। शिलाजीत के सेवन से ब्लड सर्कुलेशन काफी बढ़ जाता है। जिसके कारण पुरुषो में स्पम काउंट बढ़ जाता है। यौन अंगो में मजबूती आती है। इस तरह पुरुषो के कारण होने वाली बांजपन की समस्या दूर हो जाती है।
****शिलाजीत हड्डियों को मजबूत करता है। बढ़ती उम्र के कारण हड्डियों में कमजोरी आ जाती है। शिलाजीत में लोह और कैल्शियम भरपूर मात्रा मे होता है इसलिए हड्डीओंकी कमजोरी को बहोत ही जल्द दूर कर सकता है। अगर कमजोरी आने से पहले सेवन किया जाए तो ऐसी समस्या होती ही नहीं ।
****शिलाजीत जोड़ो के दर्द और सूजन कम कर देता है। आज कल हर ५ मे १ व्यक्ति को आर्थराइटिस की समस्या होती है। इसमें जोड़ो में असह्य दर्द होता है। उंगली की हड्डिया मरोड़ जाती है। पैरो में सूजन आ जाती है। दर्दी परवश हो जाता है। शिलाजीत के सेवन से हड्डियों में मजबूती आती है इसलिए जोड़ो की समस्या में आराम मिलता है। इसलिए सूजन भी कम हो जाती है।
****शिलाजीत कफजन्य बीमारिया दूर करता है। शिलाजीत में बेन्जोइक एसिड होता है। जो फेफड़ो जमे कफ को बाहर निकालता है। नए कफ को बनने से रोकता है। इसलिए श्वास, दम और खासी जैसी बीमारी को जड़ से मिटाता है।
****शिलाजीत बुढ़ापे को दूर करता है। शिलाजीत में एंटी ऑक्सीडेंट मौजूद है। इसलिए बुढ़ापे लाने की प्रक्रिया को बहोत धीमा कर देता है। चमड़ी का ढीलापन,चमड़ी पे जुरिया आदि शारीरिक प्रक्रिया को धीमा करता है।
****शिलाजीत मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाता है। शीलजीत के सेवन से अल्ज़ाइमर, डिप्रेशन और मानसिक बिमारीओ में बहोत ही असरदार है।
**** शिलाजीत टेस्टोस्टोरेन को बढ़ाता है। पुरुषो में टेस्टोस्टोरेन नामक एक हॉर्मन होता है। जिसकी कमी से डिप्रेशन होता है भूलने की बीमारी हो जाती है। शरीर का वजन बढ़ने लगता है। बाल जड़ने लगता है। थकान होने लगती है। शिलाजीत के नियमित सेवन से करीब १.५ या २ महीने में ही टेस्टोस्टोरेन में बहोत ही बढ़ोतरी पायी गयी है।
****शिलाजीत उम्र को बढ़ाता है। शिलाजीत मानव शरीर की कोशिका को मजबूत बनाता है। नयी कोशिका को तेज़ी से बनाती है। हमारे दैनिक कामो की वजह से और परिश्रम से कोशिका नष्ट होती है। इन कोशिका के पर ही हमारी तंदुरस्ती का आधार होता है। नयी कोशिका जीतनी जल्द बनेगी इतनी शरीर की तंदुरस्ती ज्यादा होती है।
हिमालय में ट्रैकिंग करनेवालो के साथ उनका सामान उठाने के लिए हिमालय की शेरपा जाती के लोग जाते है। इतना सामान के साथ पहाड़ चढने पर भी उनकी तंदुरस्ती पर कोई ख़ास असर नहीं होता है। क्योकि उनके दैनिक खोराक में शिलाजीत होता ही है।
****शिलाजीत इम्युनिटी बूस्टर है। शिलाजीत के नियमित, सही मात्रा में, सही समय पर लिया जाए तो मासपेशियो को मजबूत करता है। उसमे सीएसएफ नामक तत्व शारीरिक थकान दूर करता है। शरीर में खून के बहाव को तेज करता है। शरीर में से वैषिले पदार्थ और गंदगी बाहर निकलता है। जिस कारण इम्युनिटी बढ़ जाती है। शरीर में स्फूर्ति महसूस होती है।
**** शिलाजीत पिशाब की सारी समस्या दूर करता है। रिसर्च से पाया गया है की वृद्धावस्था या कोई भी रोग के कारण शुरू हुई पिशाब की समस्या को शिलाजीत दूर करता है। पिसाब की समस्या जैसे की पिशाब कम या ज्यादा आना। या रुक रुक के आना। या घडीघडी आना। यौन शिलाजीत
****शिलाजीत डायबिटीस को कण्ट्रोल करता है। रिसर्च से सिध्ध हुआ है की शिलाजीत के सेवन से डायाबिटीस टाइप A औऱ B दोनों को कण्ट्रोल करता है।
****शिलाजीत वजन घटाता है। आयुर्वेद में इसे मेदहर कहा गया है। मेद हर का अर्थ शरीर की चरबी कम करने वाला। याने शिलाजीत शरीर के मोटापा को खत्म करता है।
इस तरह आयुर्वेदिक वियाग्रा के नाम से बदनाम शिलाजीत, पुरुष की यौन शक्ति को बढ़ाने के सिवा और भी कही बीमारी को जड़ से मिटाता है। इस की मांग के सामने उत्पादन बहोत ही कम है। इसलिए सही और सच्चा शिलाजीत मिलना कठिन है।
सही शिलाजीत की पहचान कैसे करते है?
****शिलाजीत को जबान पर रखने पर वह पिघल जाता है। तो वह शुद्ध शिलाजीत है। अगर जबान पर रखने से मिटी जैसा चुभने लगता है तो वह मिलावटी शिलाजीत है या शिलाजीत ही नहीं है।
****शिलाजीत को आग में डालने पर वह फूल जाता है और धुँआ नहीं छोड़ता है। अंत में सफ़ेद पावडर जैसा हो जाता है। यह सच्चे शिलाजीत की पहचान है।
****शिलाजीत अगर सही है तो उसे वोडका में डालने पर उस शराब में नहीं घुलेगा।
****शिलाजीत को पानी में डालने पर पहले पानी के नीचे बैठ जाएगा और धीरे धीरे पानी में घुलेगा। यह सच्चे शिलाजीत की पहचान है।
****शिलाजीत गरमी में नरम पड़ जाता है। इसे धीरेसे खींचने पर तार की तरह लंबा खींच सकते हो और फ्रीज़ में रखने पर पत्थर की तरह सख्त बन जाता है। जिसे आप पत्थर की तरह तोड़ भी सकते हो। यह एक सच्चे शिलाजीत की पहचान है।
इस तरह से घर में ही शिलाजीत की पहचान कर सकते हो।
शिलाजीत का सेवन कैसे किया जाता है?
शिलाजीत को १२ साल की उम्र से ९० साल की उम्र के बच्चे, पुरुष और महिलाए सभी ले सकते है। इसका प्रयोग आयुर्वेदाचार्य की सलाह के अनुसार ही करे।
शिलाजीत की मात्रा ज्यादातर खाली पेट ३ ग्राम से ५ ग्राम तक ही होती है। जो एक चने के दाने बराबर होती है। मगर आयुर्वेदाचार्य की सलाह के अनुसार ही लेना है।
शिलाजीत के सेवन के साथ परहेज जरुरी है। इस के सेवन के साथ शराब, तम्बाकू, गुटका और मांसाहार नहीं लेना है।
शिलाजीत को किसे नहीं खाना चाहिए?
शिलाजीत की तासीर गर्म है। इसलिए अल्सर, आँत के रोगी और खुनी बवासीर के रोगी इसका सेवन न करे।
शिलाजीत को आयुर्वेद वियाग्रा कहकर उसे अंडर एस्टीमेट किया जाता है। लेकिन शिलाजीत इस से कही गुना ज्यादा उपयोगी है। अगर इसे सही समय पर, सही मात्रा में सेवन किया जाये तो कोई भी हठीला और जान लेवा रोग को परास्त किया जा सकता है।
जरुरी माहिती: इस शिलाजीत-आयुर्वेद वियाग्रा से कही ज्यादा पोस्ट में दी गयी माहिती इंटरनेट से ली गयी है। इसमें दिए हुए सभी रोगो के उपचार किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह लेने के बाद ही करे।
आगे का पढ़े : १ २.
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