ब्लड प्रेशर याने रक्त चाप

लॉ ब्लड प्रेशर का पता कैसे चलता है?
जीसे डायस्टोलिक (Diastolic) नंबर ८० mmHg है। तो व्यक्ति वह बीपी का दर्दी नहीं है।
डायस्टोलिक (Diastolic) नंबर ८०/८९ mmHg है। तो व्यक्ति १ स्टेज में गिना जाता है। जिसमे खतरा कम है।
डायस्टोलिक (Diastolic) नंबर ९० /११९ mmHg है। तो व्यक्ति 2 स्टेज में गिना जाता है। जिसमे खतरा बढ़ गया है।दवाई कीजरूरत है।
डायस्टोलिक (Diastolic) नंबर १२०/ ज्यादा mmHg है। तो व्यक्ति गंभीर स्टेज में गिना जाता है। उसे अगर तात्कालिक (एमरजैंसी) सारवार न दी गयी तो गंभीर शारीरक नुकसान कर सकता है।
लॉ ब्लड प्रेशर क्यों होता है?
*** आधुनिक दवाइया :मधुमेह (डायबिटीज), थाइरोइड, तनाव कम करनेवाली (एंटी डिप्रेशन), और कोई भी सेक्सुअल क्रिया बढ़ाने के लिए दवाओं का सेवन, लॉ ब्लड प्रेशर होने के लिए प्रमुख कारणों में से एक है।
*** खून की कमी : हमारे शरीर में ५ लीटर खून होता है। लम्बे समय की कोई भी बीमारी या कुपोषण के कारण अगर शरीर में खून की कमी हो जाती है। या कोई अकस्मात के कारण खून बह जाने के कारण, अचानक ही शरीर में खून की कमी हो जाए तो लॉ ब्लड प्रेशर हो सकता है।
*** कम पानी पीना : अगर हमारे शरीर को सही मात्रा में पानी नहीं मिलता है तो खून का बहाव कम हो जाता है। इस से खून बहाव कम हो जाता है। इस तरह लॉ ब्लड प्रेशर होता है।
*** डायरिया, कोलेरा, उलटी और हिट स्ट्रोक : डायरिया के रोग में दर्दी को बेहिसाब दस्त होता है। कोलेरा और उलटी जैसी बिमारी में भी शरीर से पानी ज्यादा बाहर निकल जाता है। जिस के कारण उसके शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है। इसलिए खून का बहाव कम हो जाता है। इस के कारण ब्लड प्रेशर हो जाता है। गर्मी की ऋतु में अधिक धुप में जानेसे भी किसी के शरीर का पानी काम हो जाता है। इस के कारण ब्लड प्रेशर हो जाता है।
*** पीरियड में अधिक खून जाना : कही बार महिलाओंके पीरियड के दौरान ज्यादा खून बह जाने से खून में कमी हो जाती है। इस कारण भी लॉ ब्लड प्रेशर होता है।
*** हृदय के रोग की वजह से : जब ह्रदय की कोई भी बिमारी हो जाती है, जैसे की हृदय का बड़ा होना, हृदय की नसे ब्लॉक हो जाना आदि। इन की वजह से शरीर में खून योग्य मात्रा में होने के बावजूद, पुरे शरीर में खून नहीं पहोचने की वजह से, ब्लड प्रेशर कम हो जाता है।
लॉ ब्लड प्रेशर के लक्षण क्या होता है?
सरदर्द होना। दृष्टि कम होना याने धुंधला दिखाई देना। जी मचलना। थकावट लगना। नींद कम हो जाना। चक्कर आना। आलस्य आना। गभराहट भी होती है। सांस में दिक्कत आ सकती है। उलटी भी हो सकती है। पसीना आ सकता है। हाथ पाँव ठन्डे हो सकते है।
एक महत्त्व का खुलासा ; उस प्रयोग करने से पहले अपने फेमिली डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य की सलाह लेकर ही करे।
लॉ ब्लड प्रेशर के घरेलु नुस्खे
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*** १ बड़े चमच शहद में ४ तुलसी के पान मिलाके खाने से लॉ ब्लड प्रेशर सही हो जाता है।
*** आधा चमच नमक में आधा गिलास पानी मिला के पीने से लॉ ब्लड प्रेशर ठीक हो जाता है। क्योकि नमक में सोडियम होने से पानी की मात्रा बनी रहती है।
*** पानी में नींबू, नमक और चीनी मिलाकर पीने से लॉ ब्लड प्रेशर तुरंत काबू में आ जाता है।
*** खाली पेट १ बड़ा चमच शहद में तुलसी के पत्ते मिलाकर खाने से लॉ ब्लड प्रेशर सही हो जाता है।
*** कोई भी मीठी चीज़ जैसे चॉकलेट, चाय या कॉफ़ी पीने से भी लॉ ब्लड प्रेशर ठीक होता है।
*** उठक बैठक जैसी आसान कसरत करने से भी लो ब्लड प्रेशर ठीक हो जाता है।
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हाई ब्लड प्रेशर
हमारे शरीर का हरेक अंग अपना काम व्यवस्थित तब ही कर सकता है, जब उसे उचित मात्रा में खून और ऑक्सीजन मिले। पुरे शरीर में खून पहोचाने का काम ह्रदय करता है। पुरे शरीर में खून पहुंचाने के लिए ह्रदय १ मिनट में ७२ बार धड़कता है। ह्रदय जब सिकुड़ता और फूलता है, तब पुरे शरीर में फैली धमनी की मदद से हरेक अंग को खून पहुँचता है।
इस धमनी में गलत खान पान से कचरा या चिकनाई (जिसे बेड कोलेस्ट्रॉल कहते है) जम जाती है। तब ह्रदय को पुरे शरीर में खून पहुंचने के लिए अधिक दबाव् देना पड़ता है। इस अधिक दबाव को ही हाई ब्लड प्रेशर कहते है।हाई ब्लड प्रेशर को साइलेंट किलर कहा गया है। क्योकि इस हाई ब्लड प्रेशर का पता कही सालो तक नहीं चलता है। इस वजह से वह दर्दी के महत्त्व के अंग जैसे की ह्रदय किडनी को नुकशान पहुंचा देता है।
हाई ब्लड प्रेशर का पता कैसे चलता है?
जिसका सिस्टोलिक (Systolic) नंबर १२० mmHg है। वह स्वस्थ है।
जिसका सिस्टोलिक (Systolic) नंबर १२० mmHg से १२९ mmHg है। तो व्यक्ति १ स्टेज में गिना जाता है।
जिसका सिस्टोलिक (Systolic) नंबर १3० mmHg से १३९ mmHg है। तो व्यक्ति 2 स्टेज में गिना जाता है।
जिसका सिस्टोलिक (Systolic) नंबर १३९ mmHg से ऊपर है तो उस व्यक्ति ताबडतोब इलाज की जरुरत है वरना बहोत बड़ा शारीरिक नुकशान हो सकता है।
इस में एक अपवाद है। अगर दर्दी की उम्र ६ ० साल के ऊपर है तो उसके लिए अलग मापदंड है। उदाहरण के रूप में कहा जाय तो, किसी व्यक्ति की उम्र ६ ० साल है। तो मापदंड के मुताबित, नार्मल ब्लड प्रेशर ८०mmHg/१२० mmHg है। हाई ब्लड प्रेशर की गिनती ८० mmHg + व्यकति की उम्र= १४० mmHg है। ६० साल की व्यक्तिका ब्लड प्रेशर जबतक १४० mmhg रहता है तब तक वह नार्मल कहा जाता है। मगर नीचे का लेवल ८० mmHg से नहीं बढ़ाना चाहिए।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण किसी को सालो तक नहीं दिखाई देते है। वह शरीर के हृदय किडनी जैसे महत्त्व पूर्ण अंगो को नुकशान पहुंचाता है। इसलिए डॉक्टर्स ४० सालके बाद रेगुलर ब्लड प्रेशर की जांच करने को कहते है।
हाई ब्लड प्रेशर के क्या लक्षण होते है?
सिस्टोलिक नंबर १५० mmHg से ज्यादा रहना। ह्रदय की धड़कन बढ़ जाना। ह्रदय में दर्द होना। जल्दी गुस्सा आना। आँखे लाल रहना। कोई भी काम करने का मन नहीं होना। अनिद्रा और आलस्य आना। सर भारी रहना या चक्कर आना। सर के पीछे के भाग में दर्द रहना। जल्दी थक जाना। सिरदर्द होना।
हाई ब्लड प्रेशर क्यों होता है?
व्यायाम का अभाव : हमारी गलत जीवन शैली की वजह से, शारीरिक श्रम काम हो गया है। अगर कोई व्यक्ति व्यायाम भी नहीं करता है। तब ह्रदय कमजोर पड जाता है। जो हाई ब्लड प्रेशर की वजह बनता है।
मानसिक तनाव : आधुनिक जीवन शैली के कारण, हमारे जीवन में मानसिक श्रम बढ़ गया है। इसलिए मानसिक तनाव और चिंता बढ़ गयी है। जो हाई ब्लड प्रेशर का कारन बनती है।
नमक : शरीर की जरुरत से ज्यादा नमक का उपयोग करने से ह्रदय की धमनी और नसों में कड़कपन आ जाता है। लचीलापन ख़त्म हो जाता है। इसलिए ह्रदय पर ज्यादा दबाव आता है। जो हाई ब्लड प्रेशर की वजह बनता है।
तेल घी का अधिक मात्रा में सेवन : अधिक मात्रा में तला हुआ पदार्थ का सेवन करना। उपरांत नकली तेल और घी का सेवन करना। इन सब से ह्रदय की नसों में और धमनी में (बेड कोलेस्ट्रॉल) चिकनाई बढ़ती है। बेड कोलेस्ट्रॉल की वजह से धमनी के छिद्र बंध हो जाते है। जिस की वजह से हाई ब्लड प्रेशर होता है।
नॉन वेज का अधिक सेवन : अधिक मात्रा में मॉस,मच्छी और अंडे का सेवन करने से भी धमनी के छिद्र बंध हो जाते है। जो हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है।
डायबिटीज : डायबिटीज के दर्दी के खून में सक्कर की मात्रा बढ़ जाने के कारण हाई ब्लड प्रेशर की संभावना बढ़ जाती है।
शराब और सिगरेट : शराब और सिगरेट का सेवन लम्बे आरसे तक करने से ह्रदय में ब्लॉकेज हो जाता है जो हाई ब्लड प्रेशर की वजह बनाता है।
एक महत्त्व का खुलासा ; उस प्रयोग करने से पहले अपने फेमिली डॉक्टर या आयुर्वेदाचार्य की सलाह लेकर ही करे।
हाई ब्लड प्रेशर को काबू में करने के नुस्खे
*** खाली पेट सुबह वॉक करे : सुबह में खाली पेट १५ मिनट से आधा घंटा चले। जो ब्लड प्रेशर को काबू में रखता है।
*** चर्बीयुक्त पदार्थ कम खाये :तेल में तले हुए व्यजन, अधिक मात्रा में घी, दूध, मख्खन, पनीर और चीज़ बहोत ही काम खाये या न खाये। ताकि आपका वजन घटे।
*** मानसिक चिंता और तनाव न करे : मानसिक तनाव और अधिक मानसिक श्रम न करे। मन को शांत रखे। जल्दबाजी वाले काम को न करे। अपने मगज़ को पूरा आराम दे।
*** योगासन करे : हाई ब्लड प्रेशर में सवासन,आलोम विलोम और भ्रामरी प्राणायाम नामक योगासन करना उत्तम माना जाया है।
*** वजह कम करे : मोटापा हाई ब्लड प्रेशर बढाता है। इसलिए वजन कम करना अति आवश्यक है।
*** शराब और सिगरेट का बंध करे : शराब और सिगरेट दवाई का असर कम कर देता है। सिगरेट का निकोटिन हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट डीसीस के लिए जिम्मेवार है।
*** ताजा हरे शाकभाजी और फल खाये : ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए क्षारवाली चीजे खाये। जिस फल का रस नहीं निकलता उसमे क्षार ज्यादा है। सफरजन,केला, अनार, द्राय फ्रूट, ताज़े हरे शाकभाजी और लौकी खाने से ब्लड प्रेशर काबू में आता है।
*** लौकी का ज्यूस पिए : रोज सुबह और शाम लॉकि का ज्यूस पीने से हाई ब्लड प्रेशर खत्म हो सकता है।
ब्लड प्रेशर हाई हो या लो, दोनों को काबू में रखना चाहिए। क्योकि दोनों ब्लड प्रेशर शरीर के महत्त्व के अंगो को नुकसान पंहुचा सकते है। इसलिए ४० साल के बाद, स्वस्थ होने पर भी ब्लड प्रेशर की जाँच करवानी चाहिए।
जरुरी माहिती: इस ब्लड प्रेशर की पोस्ट में दी गयी माहिती इंटरनेट से ली गयी है। इसमें दिए हुए सभी रोगो के उपचार किसी आयुर्वेदाचार्य की सलाह लेने के बाद ही करे।
आगे का पढ़े : १ २.
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