कुंभ मेला भाग - १ तैयारी
Devi tarachandi, By KUMAR AMIT, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0 The holy Mansa devi temple, By Priyanshi Bansal, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0


कुंभ मेला हिन्दू धर्म की एक अमूल्य परंपरा है। दुनिया के किसी भी कोने में एक त्यौहार या परंपरा मनाने करोडो मानवी इकठ्ठा नहीं होते है। इतने जन समूह के बावजूद सम्पूर्ण शान्ति और श्रद्धा से त्यौहार मनाया जाता है। कुंभ मेला हर १२ साल में वही स्थान में आता है। कुंभ मेला नासिक, प्रयाग, उज्जैन और हरीद्वार में हर तीन साल के बाद मनाया जाता है। इसलिए एकबार कुंभ मेला होने के बाद वही स्थान पर १२ साल के बाद आता है।
कुंभ मेला और हरिद्वार के बारे में जितना भी लिखा जाये कम है। इस के बारे में दूसरे भाग में विस्तार से लिखूंगा। इस बार कोविड की वजह से जो भी अफवा फैली है उसे मुझे मिली जानकारी बता ने के लिए यह पहला भाग लिख रहा हु ताकि भक्तजन, जो भी वहा जाना चाहते है उन्हें थोड़ा मार्गदर्शन मिले। मेरी दी हुई जानकारी को पक्का करने के बाद ही अपना निर्णय ले। कुंभ मेला हरिद्वार में २०२१ में ही होने वाला है। कुंभ मेला हरीद्वार में कोविड याने की करोना की वजह से २०२२ में होगा यह खबर गलत है।
इस बार कुंभ मेला हरिद्वार में मनाया जाएगा। हरिद्वार कलियुग का सबसे बड़ा प्रधान तीर्थ है। हरिद्वार उत्तराखंड राज्य में है। पुराणों में इसे मायापुरी भी कहा गया है। हरिद्वार हिन्दू के चार धाम यमनोत्री,गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ का प्रवेश द्वार है। यहाँ पर गंगा नदी पर्वतो से निकल कर मैदान में आती है। इसलिए यहाँ गंगा स्नान का अधिक महत्व है। हरीद्वार अतिशय रमणीय स्थान है। इस कुंभ मेले में देश विदेश और दुनिया भर से करोडो भक्तजन गंगा स्नान के लिए आते है। इसलिए यहाँ बहोत ही बड़ा और सलामती से भरा इंतजाम करना पड़ता है।
कुंभ मेला में पर्व स्नान की जानकारी
कुंभ मेला में शाही स्नान की जानकारी
हरिद्वार कैसे पहुंचे ?
हरिद्वार से करीब ४० किलोमीटर दूर जॉली ग्रांट एयरपोर्ट है। भारत के बड़े शहर जैसे की मुंबई, दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई, बेंगलोर आदि से जुड़ा हुआ है। एयरपोर्ट से आप कार या बस द्वारा कुंभ मेला यानि हर की पौड़ी पहुंच सकते है।
हरिद्वार लगभग देश के हर जगह से रेलवे से और रोड मार्ग से जुड़ा है। हरिद्वार में रेलवे और बस स्टेशन आमने सामने ही है। यहाँ से हर की पौड़ी , जो की गंगा स्नान का स्थल है, वह २-५ किलोमीटर ही दूर है। वहा जाने के लिए सायकल रिक्शा, बैटरी रिक्शा और ऑटो से जा सकते है। बैटरी रिक्शा और ऑटो आपको १ किलोमीटर पहले ही उतार देगा वहा से आपको पैदल जाना पडेगा। मगर सायकल रिक्शा आपको अंदर तक ले जायेगी। कही बार त्यौहार में बस स्थानक अलग जगह पर भी रखा जाता है।
सरकारी गाइडलाइन्स
कुंभ मेला का गंगा स्नान करने के लिए वेब पोर्टल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। इस के मुताबित रजिस्ट्रेशन करने पर आपको घाट का क्रमांक और स्नान का समय दिया जाएगा। उसी समय आपको उसी घाट पर स्नान करना है। हरेक भक्तजन को स्नान के लिए सिर्फ १५ मिनिट मिलेगा। १५ मिनिट ख़त्म होने पर उसे बहार आना होगा।
सभी भक्तजन को सोशल डिस्टेंस का पालन करना होगा। हर ३ मीटर में बनाये गए गोले में रहकर आगे बढ़ाना होगा। मुँह पर मास्क लगाना होगा। घाटों पर गंदकी नहीं करनी होगी। सरकार ने करीब १५ लाख वाहन के लिए पार्किंग की व्यवस्था की है। पुरे क्षेत्र पर केमेरा और ड्रोन से निगरानी रखी जायेगी। सरकार ने बुजुर्ग और विकलांग के लिए भी अलग व्यवस्था की है।
कोविड की वजह से नियम का हरेक को शख्ती से पालन करना होगा। नियम पालन करवाने के लिए अलग से विभाग खोला गया है। यह विभाग नियम तोड़ने वालो के साथ शख्ती से कार्यवाही करेगा। ड्रोन और केमेरे से जहा भी भीड़ दिखेगी और सरकारी नियम को तोड़ा जाएगा वहा पर इमरजेंसी विभाग पहुंच कर उसे दंडित करेंगे।
सरकारी व्यवस्था
The River Ganga at Haridwar, By Engineercad, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY-SA 4.0
Sunrise view of har ki pauri, haridwar, By Wolfgang Maehr from oslo, norway, image compressed and resized, Source is licensed under CC BY 2.0 कुंभ मेला के स्नान के लिए हरिद्वार में कुल १०७ घाट है सभी घाटो की अच्छी तरह मरम्मत की गई है। होटल, धर्मशाला में रहने के लिए व्यवस्था की गई है। करीब १५० से ज्यादा धर्मशाला की व्यवस्था की गई है। सभी घाटों को साफ़ और स्वच्छ किया गया है। घाट के ऊपर बहुत ही सुन्दर चित्र बनाकर सजाया गया है। बुजुर्ग, विकलांग और महिला के लिए अलग इंतजाम किये गए है। महिलाओ के लिए वस्त्र बदलने के लिए स्थाई और अस्थाई अलग कमरे बनाये गए है। सभी घाट पर रात्रि के समय लाइट की सम्पूर्ण व्यवस्था की गयी है।
चंडी घाट


कुंभ मेला स्नान के लिए प्रशासन ने विकलांग, बुजुर्ग और महिलाो को ध्यान में रखते हुए एक नए घाट का निर्माण किया गया है। इस घाट का निर्माण नमामि गंगे और स्वच्छ भारत के अभियान के तहत बनाया गया है। हर की पौड़ी औरसे एक पुल पार करके इस घाट तक पहुंचा जाता है। पुल से सीधा घाट तक पहुंचने के लिए व्यवस्थित सिडिया बनाई गई है। इस सीडी की वजह से घात तक पहुंचने का अंतर करीब २ किलोमीटर कम हो जाता है। अगर आप कार से जाएंगे तो आपको पूल पार करके बाए मुड़कर कार पार्क करके १.५ किलोमीटर चलके घात तक जाना पडेगा।
चंडी घाट में एक साथ १०,००० लोग स्नान करते है। यह घाट सबसे बड़ा और आधुनिक है। इसे एकदम खुला और स्वच्छ बनाया गया है। हर नियत अंतर में अलग अलग कचरा डालने के लिए कचरा पेटी याने डस्टबिन रखे गए है। इस घाट में कई पार्क बनाए गए है। इस से उसकी सुंदरता में इजाफा होता है। हर एक पार्क में पेड़ और पौधे लगाए गए है। मैदान में चित्र बनाये गए है। पार्क में शेड लगाए गए है ताकि लोग वहा बैठकर आराम कर सके और धुप से बच सके। बुजुर्ग और विकलांग के आराम के लिए यह पार्क बनाया गया है। इस घाट में संत रविदास की मूर्ति और उसके सामने मा गंगा का हाथ में रविदास का कड़ा पहना हुआ स्मारक बनाया गया है।
पूल से सीधा घाट तक पहुंच ने के लिए सिडिया बनाई गयी है। गंगाजी में स्नान करने के लिए बुजुर्गो के लिए नदी तक पहुंचने के लिए सीडी की बाजु में भी पकडने के लिए रेलिंग लगाईं गई है। विकलांगो के लिए सीधे गंगाजी में स्नान के लिए पहुंचने के लिए स्लोप बनाये गए है ताकि विकलांगो को व्हीलचेयर में बिठाकर सीधे गंगाजी तक पहचाया जा सके। महिलाओ के लिए स्नान के बाद वस्त्र बदलने के लिए कमरे बनाये गए है। महिला और पुरुष के लिए अलग शौचालय बनाये गए है। गंगाजी में भी गहरा पानी शुरू होने से पहले ही रेलिंग लगाईं गई है ताकि कोई भी भक्तजन गहरे पानी तक पहुंच ही न सके।
कुंभ मेला में बनाया गया ये घाट हरिद्वार को गंगाजी में स्नान करने वालो को अत्यंत स्वच्छ,आधुनिक, सुंदर और सलामत भेट है।
आगे का पढ़े : १.तीर्थंकर पार्श्वनाथ २.क्रिसमस
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1 comments:
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